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कर्नल प्रासाद पुरोहित की पदोन्नति: मालेगांव मामले में मिली बरी होने की राहत

भारतीय सेना के अधिकारी प्रासाद श्रीकांत पुरोहित को हाल ही में कर्नल के पद पर पदोन्नत किया गया है, जब उन्हें 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में बरी किया गया। इस मामले में पुरोहित ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी, और अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। उनकी पदोन्नति पर केंद्र सरकार और भाजपा नेताओं ने खुशी जताई है। यह मामला न केवल पुरोहित के लिए, बल्कि न्याय व्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह दिखाता है कि बिना सबूत किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके सामाजिक संदर्भ।
 

प्रासाद पुरोहित की पदोन्नति

प्रासाद श्रीकांत पुरोहित की पदोन्नति: भारतीय सेना के अधिकारी प्रासाद श्रीकांत पुरोहित को आज कर्नल के पद पर पदोन्नत किया गया है। यह पदोन्नति उस समय हुई है जब उन्हें हाल ही में 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में बरी किया गया। पुरोहित ने इस मामले में लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी, जो अंततः मुंबई की अदालत द्वारा उनके पक्ष में समाप्त हुई। अदालत ने सभी आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को स्पष्ट रूप से साबित करने में असफल रहा।




मालेगांव विस्फोट मामला क्या है?
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में एक बाइक से बम विस्फोट हुआ था, जिसमें छह लोगों की जान गई और लगभग 101 लोग घायल हुए थे। यह घटना एक मस्जिद के पास हुई थी, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस मामले में शुरू में 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन बाद में केवल सात आरोपियों को ही मुकदमे का सामना करना पड़ा। इन आरोपियों में पुरोहित के अलावा भाजपा नेता प्रज्ञा सिंह ठाकुर, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, सुदीपक चतुर्वेदी, अजय रहिरकर, शंकराचार्य सुधाकर धर द्विवेदी और समीर कुलकर्णी शामिल थे। इस मामले में सभी आरोपियों को इस वर्ष 31 जुलाई को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की अदालत ने बरी कर दिया।




केंद्र सरकार और भाजपा की प्रतिक्रिया
प्रासाद पुरोहित की कर्नल पदोन्नति पर केंद्र सरकार और भाजपा नेताओं ने खुशी जताई है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने उन्हें देशभक्त बताया और ट्विटर (अब X) पर बधाई दी। उन्होंने कहा, "सरकार देश की सेवा करने वाले बहादुर और ईमानदार देशभक्तों के साथ खड़ी है।" भाजपा के प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि पुरोहित को 17 वर्षों से हो रहे उत्पीड़न के बाद आखिरकार न्याय मिला है। उन्होंने कांग्रेस और राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी राजनैतिक रणनीतियों ने पुरोहित के करियर में बाधा डाली। भंडारी ने कहा कि पुरोहित को बिना सबूत के जेल में आठ साल बिताने पड़े और कांग्रेस की "एपीजमेंट" नीतियों के कारण उन्हें मेजर जनरल बनने से रोका गया।


पुरोहित की बरी होने का महत्व
पुरोहित की बरी होना और पदोन्नति पाना न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन में एक बड़ी जीत है, बल्कि यह न्याय व्यवस्था और कानूनी प्रक्रिया की भी परीक्षा थी। यह मामला देश के राजनीतिक और सामाजिक माहौल में गहराई से जुड़ा रहा, क्योंकि इसने धार्मिक और राजनीतिक विवादों को जन्म दिया था। पुरोहित के पक्ष में फैसला यह दिखाता है कि आरोपों के बिना किसी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। साथ ही, यह मामला देश में न्याय के प्रति विश्वास को भी प्रभावित करता है।