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कश्मीर में मुहर्रम का जुलूस: हिंदू और मुस्लिम समुदाय का एकता का प्रतीक

कश्मीर में पारंपरिक मुहर्रम का जुलूस आयोजित किया गया, जिसमें हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग एक साथ शामिल हुए। इस जुलूस का उद्देश्य इमाम हुसैन के संदेश को फैलाना है, जो सभी मानवता के लिए है। स्थानीय लोगों ने सरकार द्वारा जुलूस की अनुमति मिलने पर खुशी व्यक्त की। जानें इस जुलूस की विशेषताएँ और लोगों की प्रतिक्रियाएँ।
 

कश्मीर में मुहर्रम का जुलूस

वीडियो: कश्मीर में पारंपरिक आठ मुहर्रम का जुलूस आयोजित किया जा रहा है। सुबह से ही लोग इस जुलूस में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं। अनुमान है कि इसमें भाग लेने वालों की संख्या लाखों तक पहुंच सकती है। इस जुलूस में मुसलमानों के साथ-साथ हिंदू भाई भी शामिल हुए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इमाम हुसैन का संदेश केवल एक समुदाय के लिए नहीं, बल्कि समस्त मानवता के लिए है। वे इस बात से खुश हैं कि सरकार ने इस जुलूस को आयोजित करने की अनुमति दी है।


श्रीनगर, कुपवाड़ा और बांदीपोरा से लोग जुलूस में शामिल होने के लिए आ रहे हैं। जानकारी के अनुसार, यह जुलूस डलकेट तक जाएगा। इमाम हुसैन और उनके साथ कर्बला में शहीद हुए लोगों का संदेश सभी के लिए है, न कि किसी विशेष वर्ग के लिए। इसलिए मुस्लिम समुदाय के साथ हिंदू भाई भी इसमें भाग ले रहे हैं। मुहर्रम का यह जुलूस हर साल 10वीं तारीख को मनाया जाता है, और आज श्रीनगर में आठवीं तारीख का पारंपरिक जुलूस निकाला जा रहा है। वीडियो में देखें कि श्रीनगर के लोगों ने इस बारे में क्या कहा…


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