कार्तिक अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने पिंडारा तीर्थ में किया स्नान
पिंडतारक तीर्थ पर श्रद्धालुओं की भीड़
जींद में कार्तिक अमावस्या के अवसर पर पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर श्रद्धालुओं ने स्नान कर पितृ तर्पण किया। इस दिन यहां एक बड़ा मेला भी आयोजित किया गया। कार्तिक अमावस्या का दिन श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन पितृ तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। हर महीने आने वाली अमावस्या का हिंदू धर्म में गहरा धार्मिक महत्व है। इस दिन व्रत करने और पितरों को जल और तिल अर्पित करने की परंपरा है। सुबह से ही श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान और पिंडदान करना शुरू कर दिया, जो दोपहर तक जारी रहा।
पांडवों की तपस्या का स्थल
इस अवसर पर दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया और सूर्य देव को जल अर्पित कर सुख-समृद्धि की कामना की। पिंडतारक तीर्थ के बारे में मान्यता है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने यहां 12 वर्षों तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। सोमवती अमावस्या के दिन युद्ध में मारे गए अपने परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया गया। तभी से यह मान्यता है कि पांडू पिंडारा में पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है।
महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान का विशेष महत्व है। विभिन्न प्रांतों से श्रद्धालु यहां पिंडदान करने आते हैं। श्रद्धालुओं ने यहां खरीददारी भी की। जयंती देवी मंदिर के पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि हिंदू धर्म में कार्तिक अमावस्या का विशेष महत्व है। शास्त्रों में इस दिन दान-पुण्य करने का महत्व अत्यधिक फलदायी बताया गया है। इस दिन पितृ तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं।