किसान संगठनों का बड़ा आंदोलन: औद्योगिक घरानों के खिलाफ ट्रैक्टर मार्च
किसानों का ट्रैक्टर मार्च: औद्योगिक घरानों के खिलाफ आवाज उठाने की तैयारी
किसान संगठनों ने निकाला ट्रैक्टर मार्च, बड़ा आंदोलन शुरू करने की चेतावनी
चंडीगढ़ : संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) एक बार फिर से अपनी आवाज उठाने की योजना बना रहा है। इस बार यह आवाज सरकार की किसान विरोधी नीतियों और उन औद्योगिक घरानों के खिलाफ होगी जो किसानों के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं। एसकेएम ने 31 अगस्त 2025 को 'कॉरपोरेट्स भारत छोड़ो दिवस' मनाने का ऐलान किया है।
एसकेएम ने बताया कि इस दिन किसान ट्रैक्टर और मोटर वाहन मार्च निकालेंगे, साथ ही केंद्र सरकार का पुतला जलाने का भी कार्यक्रम है। इसके अतिरिक्त, 26 नवंबर को एक बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई है, जो ऐतिहासिक किसान आंदोलन की पांचवीं वर्षगांठ के अवसर पर होगा।
12 राज्यों के किसान संगठनों का निर्णय
एसकेएम के नेताओं ने कहा कि यह आंदोलन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार एमएसपी लागू करने, किसानों के कर्ज माफ करने, निजीकरण के खिलाफ और भूमि अधिग्रहण के मामलों के खिलाफ होगा। अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के नेता विजू कृष्णन ने बताया कि 12 राज्यों के 37 किसान संगठनों के 106 प्रतिनिधियों ने इस बैठक में भाग लिया।
भूमि अधिग्रहण नीति पर चिंता
किरती किसान यूनियन के रमिंदर सिंह पटियाला ने पंजाब में भूमि अधिग्रहण नीति और देशभर में हो रहे भूमि अधिग्रहण पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि 31 अगस्त को ट्रैक्टर और वाहन मार्च निकाले जाएंगे, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले जलाए जाएंगे। 15 अगस्त से 26 नवंबर तक जनसभाएं आयोजित की जाएंगी और 26 नवंबर को बड़ा आंदोलन होगा।