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किसानों के लिए उर्वरकों की कमी नहीं होगी: केंद्र सरकार का आश्वासन

केंद्र सरकार ने किसानों को आश्वासन दिया है कि खरीफ सीजन 2025 में उर्वरकों की कोई कमी नहीं होगी। उर्वरक मंत्रालय ने पहले से आवश्यक स्टॉक एकत्रित कर लिया है, जिससे किसानों को किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके अलावा, सरकार ने सऊदी अरब और मोरक्को से डीएपी की खरीद के लिए समझौते किए हैं। जानें इस विषय में और क्या जानकारी है।
 

उर्वरकों की कमी से निपटने के लिए सरकार की तैयारी


कूटनीति और दीर्घकालिक सौदों से आयात सुरक्षित


नई दिल्ली: हर साल फसली सीजन में उर्वरकों की कमी से किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सप्लाई में कमी के कारण फसल उत्पादन प्रभावित होता है, जिससे किसानों के लाभ पर असर पड़ता है। इस बार उर्वरक मंत्रालय ने इस समस्या से निपटने के लिए पूरी तैयारी की है।


मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि खरीफ सीजन 2025 में किसानों को किसी भी उर्वरक समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके लिए आवश्यक स्टॉक पहले से ही एकत्रित कर लिया गया है। हालांकि, लाल सागर संकट, रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व में तनाव के कारण वैश्विक स्तर पर चुनौतियाँ हैं, फिर भी सरकार ने आश्वासन दिया है।


उर्वरकों की मांग और उत्पादन में वृद्धि

पिछले एक दशक में फसलों के उत्पादन में तेजी आई है, जिसके साथ ही रसायनों की मांग भी बढ़ी है। रसायन और उर्वरक मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, घरेलू यूरिया उत्पादन में 35% की वृद्धि हुई है।


2013-14 में यह 227.15 एलएमटी था, जो 2024-25 में बढ़कर 306.67 एलएमटी हो गया है। इसी अवधि में डीएपी और एनपीके उर्वरकों के उत्पादन में भी 44% की वृद्धि हुई है। सरकार की आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को इस वृद्धि से बल मिला है।


भारत का सऊदी अरब से डीएपी खरीदने का समझौता

जुलाई 2025 में भारतीय कंपनियों ने सऊदी अरब के साथ 31 एलएमटी डीएपी के लिए पांच साल का समझौता किया है। इसके अलावा, मोरक्को से 25 एलएमटी डीएपी और टीएसपी भी सुरक्षित किया गया है।


हालांकि कीमतों में वृद्धि और लंबे शिपिंग मार्गों के बावजूद, सप्लाई की स्थिति मांग से बेहतर है। यूरिया की उपलब्धता 183 एलएमटी है, जबकि आवश्यकता 143 एलएमटी है।


सरकार की सब्सिडी योजना

किसानों को वैश्विक मूल्य के झटकों से बचाने के लिए सरकार भारी सब्सिडी प्रदान कर रही है। यूरिया 242 रुपये प्रति 45 किलो बैग पर बेचा जाता है, जबकि डीएपी की कीमत 1,350 रुपये है।


यह सब्सिडी योजना आयात लागत, जीएसटी और मूल्य वृद्धि को कवर करती है। कालाबाजारी पर भी सख्ती बरती जा रही है।