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कैथल में किसानों की मुआवजे की मांग, कम पानी वाली फसलों की ओर बढ़ रहे हैं

कैथल के किसान फसल खराबे के मुआवजे की मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिल रही है। आर्थिक संकट के बीच, किसान अब कम पानी वाली फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। गन्ने की खेती में बढ़ते रुझान से यह स्पष्ट होता है कि किसान नई तकनीकों को अपनाने के लिए तैयार हैं। जानें इस स्थिति के पीछे की वजहें और किसानों की चुनौतियाँ।
 

कैथल में मुआवजे की समस्या

कैथल (किसानों का मुआवजा विलंब): फसल के नुकसान का मुआवजा न मिलने के कारण किसान परेशान हैं। वे लगातार सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई ठोस उत्तर नहीं मिल रहा है। आर्थिक संकट के चलते किसान सरकार से जल्द मुआवजा जारी करने की अपील कर रहे हैं।


क्षतिपूर्ति के लिए आवेदन

कांगथली गांव के किसान महेंद्र सिंह ने बताया कि बारिश के कारण उनकी फसल बर्बाद हो गई थी। उन्होंने मुआवजे के लिए क्षतिपूर्ति पोर्टल पर आवेदन किया, लेकिन अब तक कोई सहायता नहीं मिली है।


क्योड़क गांव के ऋषिपाल ने कहा कि उन्होंने 5 एकड़ में धान की फसल लगाई थी, लेकिन अत्यधिक बारिश ने उसकी फसल को नष्ट कर दिया। मुआवजे का इंतजार करते-करते उन्हें अब आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।


किसानों की स्थिति

किसान नेता विक्रम कसाना ने बताया कि धान की फसल तैयार करने में प्रति एकड़ 20-25 हजार रुपये खर्च होते हैं। इसके अलावा, जमीन का ठेका भी 60 से 70 हजार रुपये प्रति वर्ष है।


फसल की कमी और सरकार द्वारा मुआवजे की अनदेखी के कारण किसान घाटे में जा रहे हैं। ऐसे में किसानों के पास कोई विकल्प नहीं बचा है।


कम पानी वाली फसलों की ओर रुझान

किसानों ने इस बार सैकड़ों एकड़ में गन्ने की फसल लगाकर यह साबित कर दिया है कि वे कम पानी वाली खेती की ओर बढ़ सकते हैं। बीर-बांगड़ा और अन्य गांवों के किसानों ने गन्ने की फसल लगाकर एक नई मिसाल पेश की है।


जल स्तर में कमी के कारण धान की फसल अब घाटे का सौदा बन गई है। इस बार किसानों ने मूंग, अरहर, कपास और बाजरे की फसलें भी उगाई हैं, जिससे अन्य किसानों को प्रेरणा मिलेगी।


गन्ने की खेती के लाभ

किसान कुलदीप सिंह, रामदिया रामफल, कृष्ण सिंह, गुरनाम सिंह, धीरेंद्र कुमार और धर्मपाल ने बताया कि गन्ने की खेती लाभदायक है। यह फसल कम पानी और कम खर्च में उगाई जा सकती है।


गन्ने की खेती किसानों के लिए नकदी फसल साबित हो सकती है, जिससे उन्हें आर्थिक सहायता मिलेगी।