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कैथल में रिश्वतखोरी का मामला: जूनियर इंजीनियर रंगे हाथ पकड़ा गया

हरियाणा के कैथल जिले में एसीबी ने एक जूनियर इंजीनियर को ₹3.90 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। आरोपी ने ठेकेदार से सरकारी काम के भुगतान के लिए रिश्वत मांगी थी। इस मामले में अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। जानें इस भ्रष्टाचार के मामले की पूरी कहानी और एसीबी की कार्रवाई के बारे में।
 

कैथल रिश्वत मामले का खुलासा

कैथल रिश्वत मामला: जूनियर इंजीनियर ने ₹3.90 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया। हरियाणा के कैथल जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कार्रवाई की गई है। एसीबी की टीम ने सिंचाई विभाग के एक जूनियर इंजीनियर को ₹3.90 लाख की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। आरोपी इंजीनियर पिहोवा के लूखी गांव का निवासी है और सरकारी कार्यों के भुगतान को रिलीज करने के लिए ठेकेदार से रिश्वत मांग रहा था।


एसीबी के इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि आरोपी इंजीनियर ने ठेकेदार मनदीप मोर से कुल ₹10 लाख की मांग की थी। इससे पहले वह ₹3 लाख की अग्रिम राशि ले चुका था। जब वह शेष राशि लेने आया, तब एसीबी की टीम ने उसे पकड़ लिया।


व्हाट्सएप कॉल के जरिए सौदेबाज़ी


इस मामले में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि आरोपी इंजीनियर बहुत सतर्क था। वह सभी बातचीत केवल व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से करता था ताकि कोई रिकॉर्ड न रह सके। लेकिन ठेकेदार ने एसीबी के सहयोगी जंगी चीका की जानकारी देखकर उनसे संपर्क किया।


इसके बाद एसीबी के इंचार्ज महेंद्र सिंह, एएसआई सुनील देतरवाल और जंगी चीका की टीम ने मिलकर एक योजना बनाई। कई दिनों तक बातचीत और ऑडियो सबूत इकट्ठा किए गए। जब तय स्थान पर इंजीनियर ने रिश्वत ली, तो टीम ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया।


अन्य अधिकारियों की भूमिका की जांच


एसीबी ने बताया कि आरोपी इंजीनियर ठेकेदारों से पैसे वसूलने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के नाम का इस्तेमाल करता था। हालांकि उच्च अधिकारियों ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि उनके नाम पर कोई लेन-देन न किया जाए। अब इस मामले में अन्य संभावित संलिप्त अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।


इस कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार और एसीबी की मुहिम तेज हो चुकी है। कैथल जैसे छोटे शहरों में भी अब ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है।