कॉर्पोरेट दुनिया में संवेदनशीलता की आवश्यकता पर जोर देते हुए सचदेवा की भावुक पोस्ट
एक कठिन निर्णय का सामना
कॉर्पोरेट ट्रेनर सम्पर्क सचदेवा ने हाल ही में लिंक्डइन पर एक भावुक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें एक ही दिन में 25 कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का कठिन निर्णय लेना पड़ा। उन्होंने इसे अपने करियर का सबसे कठिन पल बताया। यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गई है। सचदेवा ने इस प्रक्रिया के दौरान नौकरी गंवाने वाले कर्मचारियों और उन्हें यह खबर देने वाले मैनेजर्स पर पड़े भावनात्मक प्रभाव का विस्तार से वर्णन किया।
मैनेजर्स पर दबाव
सचदेवा ने बताया कि मैनेजर्स को एक कठोर प्रक्रिया का पालन करने के लिए कहा गया था। उन्हें निर्देश दिया गया था कि वे पूरी तरह से भावनाहीन रहें, सहानुभूति न जताएं और न ही माफी मांगें। उन्हें केवल निर्धारित स्क्रिप्ट के अनुसार कार्य करना था, जिसमें कर्मचारियों से आईडी कार्ड लेना और कंपनी का सामान वापस लेना शामिल था।
कर्मचारी की कहानी
'आज आपका आखिरी दिन है'
सचदेवा ने अपनी पोस्ट में बताया कि जिस पहले कर्मचारी का सामना उन्होंने किया, वह एक सिंगल मदर थी। जब उसे अपनी नौकरी जाने की बात समझ में आई, तो उसकी आंखों में आंसू आ गए। सचदेवा को मजबूरन वही शब्द बोलने पड़े, जो उन्हें सिखाए गए थे, 'Today is your last day.' उन्होंने इसे अपने जीवन का सबसे काला दिन बताया।
संवेदनशील कहानियाँ
हर नाम के पीछे एक संवेदनशील कहानी थी
सचदेवा ने याद किया कि उस लिस्ट में हर नाम के पीछे एक संवेदनशील कहानी थी। किसी पिता की चिंता थी, जो अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर परेशान था, तो किसी युवा का सपना था, जिसने बेहतर अवसरों की तलाश में अपने घर-परिवार को छोड़ दिया था। इस प्रक्रिया के दौरान सचदेवा इतने भावुक हो गए कि वे अकेले में जाकर रो पड़े और रात को सो नहीं पाए।
कर्मचारी की पहचान
कर्मचारी सिर्फ वेतन पाने वाले लोग नहीं होते
सचदेवा ने अपनी पोस्ट में यह भी कहा कि संगठनात्मक निर्णयों में दया और संवेदनशीलता का होना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि कर्मचारी केवल वेतन पाने वाले नहीं होते, बल्कि उनके पीछे परिवार, जिम्मेदारियां और सपने होते हैं। नेतृत्व का मतलब केवल निर्णय लेना नहीं, बल्कि उन निर्णयों से जुड़े शब्दों और मौन को भी सही तरीके से निभाना है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ
सोशल मीडिया पर मिली जुली प्रतिक्रिया
सचदेवा की इस पोस्ट पर लिंक्डइन पर कई लोगों ने सहानुभूति जताई और उनकी ईमानदारी की सराहना की। वहीं, कुछ लोगों ने इसे नाटकीय बताते हुए सवाल उठाए। हालांकि, कई यूज़र्स ने सचदेवा का समर्थन किया और कहा कि कॉर्पोरेट दुनिया में मानवीयता और संवेदनशीलता पर जोर देने की उनकी अपील प्रशंसनीय है।
Embedded Post