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क्या निमिषा प्रिया की फांसी रोकेगा भारत? जानें इस जटिल मामले की पूरी कहानी

यमन में एक हत्या के मामले में दोषी ठहराई गई केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी को रोकने के लिए भारत सरकार और विभिन्न संगठनों की ओर से प्रयास जारी हैं। इस मामले की जटिलता यमन के राजनीतिक हालातों से भी जुड़ी हुई है। निमिषा के परिवार ने भी अपनी बेटी को बचाने के लिए कई प्रयास किए हैं, लेकिन अब समय कम होता जा रहा है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और भारत की कोशिशें।
 

यमन में फांसी की सजा पर भारत की चिंता

यमन की राजधानी सना में एक हत्या के मामले में दोषी ठहराई गई केरल की नर्स, निमिषा प्रिया, की फांसी को रोकने के लिए भारत और विभिन्न संगठनों की ओर से प्रयास जारी हैं। 37 वर्षीय निमिषा को स्थानीय अदालत ने हत्या का दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई थी। इस मामले की जटिलता भारत और यमन के राजनीतिक हालातों से भी जुड़ी हुई है।


भारत की सक्रियता

भारत सरकार निमिषा प्रिया को बचाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। हालांकि, यमन में हूती विद्रोहियों के साथ भारत का कोई औपचारिक राजनयिक संपर्क नहीं है। भारत की मान्यता प्राप्त यमनी सरकार से संबंध राष्ट्रपति नेतृत्व परिषद के माध्यम से हैं, जबकि निमिषा का मामला हूती-नियंत्रित क्षेत्र से संबंधित है, जिसे 'सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल' कहा जाता है।


2023 में हूती शासित यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने निचली अदालत के फांसी के फैसले को बरकरार रखा। कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने फांसी को मंजूरी दी, लेकिन बाद में दिल्ली स्थित यमनी दूतावास ने स्पष्ट किया कि यह क्षेत्र हूती नियंत्रण में है और मान्यता प्राप्त सरकार का इससे कोई संबंध नहीं है।


परिवार की कोशिशें

प्रिया की मां, प्रेमकुमारी, ने यमन जाकर पीड़ित परिवार को 'ब्लड मनी' देकर अपनी बेटी को बचाने की कोशिश की थी, जो वहां के कानून के तहत एक वैकल्पिक उपाय है। हालांकि, 'सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल' के अनुसार, अब यह रास्ता भी बंद होता दिख रहा है।


इस संगठन ने पीड़ित परिवार को 1 मिलियन डॉलर यानी लगभग 8.5 करोड़ रुपये की पेशकश की है, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि परिवार कितनी राशि स्वीकार करेगा। संगठन के सदस्यों का कहना है कि वे अगले दो दिनों में फिर से संपर्क साधने की कोशिश करेंगे।


फांसी की प्रक्रिया की तैयारी

मानवाधिकार कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम बस्करन ने बताया कि सरकारी अभियोजक ने जेल प्रशासन को फांसी की प्रक्रिया शुरू करने के लिए पत्र भेजा है। इससे यह संकेत मिलता है कि निमिषा प्रिया के पास अब समय बहुत कम बचा है।


मामले का सारांश

2008 में यमन गई नर्स निमिषा प्रिया ने एक स्थानीय व्यापारी, तलाल अब्दो महदी, के साथ मिलकर एक क्लिनिक खोला था। प्रिया के अनुसार, तलाल ने दस्तावेजों में हेराफेरी कर खुद को उसका पति घोषित कर दिया और फिर उसका शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण शुरू कर दिया। उसका पासपोर्ट छीन लिया गया और ड्रग्स का इस्तेमाल कर उस पर नियंत्रण की कोशिश की गई।


एक दिन प्रिया ने स्थानीय जेल वार्डन की मदद से महदी को बेहोश करने की योजना बनाई, लेकिन दवा की अधिक मात्रा से उसकी मौत हो गई। इसी मामले में उन्हें हत्या का दोषी ठहराया गया। अब भारत सरकार, परिवार और सामाजिक संगठन मिलकर समय के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं, ताकि एक भारतीय नागरिक को विदेश में न्याय मिल सके।