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क्या पीएम मोदी बनेंगे रूस-यूक्रेन संकट के समाधान के सूत्रधार?

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच, पीएम मोदी की मध्यस्थता की भूमिका पर चर्चा हो रही है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भारत पर भरोसा जताया है कि वह इस संकट को सुलझा सकता है। SCO समिट में मोदी ने शांति की बात की, जिससे उनकी विश्वसनीयता बढ़ी है। भारत ने कभी भी आक्रामक बयान नहीं दिए और संवाद का रास्ता अपनाया है। क्या मोदी इस संघर्ष को समाप्त करने में सफल होंगे? जानें पूरी कहानी में।
 

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें भारत पर

International News: रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने का वादा राष्ट्रपति ट्रंप ने किया था, लेकिन वे इस दिशा में सफल नहीं हो सके। सत्ता में आने से पहले उन्होंने शांति की स्थापना का आश्वासन दिया था, लेकिन संघर्ष जारी रहा। उनकी निरंतर कोशिशों के बावजूद कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भारत पर अपनी उम्मीदें टिका दी हैं। दुनिया का मानना है कि पीएम मोदी इस संकट को सुलझा सकते हैं, यही कारण है कि यूरोपीय संघ और यूक्रेनी राष्ट्रपति उनसे संवाद कर रहे हैं।


भारत पर वैश्विक विश्वास

दुनिया को भारत पर भरोसा

SCO समिट में पीएम मोदी ने युद्ध के बजाय शांति की बात की, जिससे स्पष्ट हो गया कि भारत मध्यस्थता की भूमिका निभा सकता है। पेरिस में जब यूरोपीय नेता जेलेंस्की के साथ चर्चा कर रहे थे, उसी समय यूरोपीय परिषद और आयोग के प्रमुखों ने पीएम मोदी से फोन पर बात की। बाद में EU ने सोशल मीडिया पर कहा कि रूस को युद्ध समाप्त करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह बयान दर्शाता है कि वैश्विक समुदाय मोदी को शांति दूत मानने लगा है।


भारत की संतुलित दृष्टिकोण

भारत की संतुलित नीति

भारत ने रूस-यूक्रेन संघर्ष पर कभी भी आक्रामक बयान नहीं दिए। 2022 में जब रूस ने आक्रमण किया, तब भी भारत ने खुलकर निंदा करने के बजाय संवाद का रास्ता अपनाया। पीएम मोदी ने बार-बार कहा कि युद्ध का कोई समाधान नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बंदूक की नोक पर बातचीत सफल नहीं हो सकती। इस संतुलित दृष्टिकोण ने भारत को दोनों पक्षों के बीच एक विश्वसनीय मध्यस्थ बना दिया है।


भारत की प्रभावशाली भूमिका

रूस और यूक्रेन दोनों पर असर

मोदी के पास वह शक्ति है कि वे पुतिन और जेलेंस्की दोनों से सीधे संवाद कर सकते हैं। हाल ही में दोनों नेताओं ने पीएम मोदी से फोन पर चर्चा की। चीन में SCO मीटिंग के दौरान पुतिन और मोदी के बीच शांति पर बातचीत हुई। वहीं, जेलेंस्की भी भारत को महत्वपूर्ण मान रहे हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि भारत अब केवल एक दर्शक नहीं, बल्कि समाधान का हिस्सा बन चुका है।


भारत की मानवीय पहल

भारत की मानवीय पहल

युद्ध शुरू होने के बाद भारत ने केवल तेल और व्यापार में वृद्धि नहीं की, बल्कि यूक्रेन को दवाइयां, उपकरण और राहत सामग्री भी भेजी। इससे भारत का मानवीय चेहरा दुनिया के सामने आया। मोदी ने बार-बार कहा कि हर देश की सुरक्षा और स्थिरता आवश्यक है। यही कारण है कि अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत पर अधिक भरोसा किया जा रहा है।


पीएम मोदी की वैश्विक पहचान

पीएम मोदी पर दुनिया की नजर

आज पूरी दुनिया जानती है कि पीएम मोदी का कहना है—यह समय युद्ध का नहीं है। इसी कारण पश्चिमी देशों से लेकर एशियाई शक्तियों तक उनकी बात सुनी जा रही है। दुनिया मानती है कि मोदी ही वह नेता हैं जो संवाद का माहौल बना सकते हैं। दूसरी ओर, युद्ध न रुकने से ट्रंप की छवि कमजोर हो रही है। पश्चिमी देशों को भी चिंता है कि अगर भारत-रूस-चीन एकजुट होते हैं तो उनकी समस्याएं और बढ़ सकती हैं।


संवाद से समाधान की उम्मीद

बातचीत से हल का भरोसा

मोदी के नेतृत्व का एक बड़ा उदाहरण भारत-चीन सीमा विवाद है। गलवान की झड़प के बाद रिश्ते बिगड़ गए थे, लेकिन बातचीत जारी रही। कई बैठकों के बाद सेनाओं की वापसी और तनाव कम करने पर सहमति बनी। यही शैली वे अब रूस-यूक्रेन युद्ध में अपना रहे हैं। मोदी मानते हैं कि संवाद ही हर बड़े संकट का असली समाधान है और यही कारण है कि दुनिया उनकी ओर उम्मीद से देख रही है।