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गणेश विसर्जन 2025: सही तिथि और शुभ मुहूर्त जानें

गणेश विसर्जन 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में जानें। इस वर्ष अनंत चतुर्दशी 6 सितंबर को है, जबकि 5 सितंबर को विसर्जन नहीं होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, विसर्जन के लिए 6 सितंबर का दिन सबसे उपयुक्त है। इस लेख में विसर्जन के महत्व और सही समय के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।
 

गणेश विसर्जन 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

गणेश विसर्जन 2025: गणेश विसर्जन 5 या 6 सितंबर? सही तिथि और शुभ समय जानें!: पंचकूला: गणेशोत्सव 2025 की शुरुआत 27 अगस्त, बुधवार को भगवान गणपति की स्थापना के साथ हुई थी। हर साल की तरह, इस बार भी बप्पा को 10 दिनों तक घरों में विराजमान किया गया है।


अब भक्तों की नजरें अनंत चतुर्दशी पर टिकी हैं, जब गणपति को भावपूर्ण विदाई दी जाएगी। इस बार अनंत चतुर्दशी 6 सितंबर 2025, शनिवार को पड़ रही है। आइए जानें गणेश विसर्जन 2025 की सही तारीख, शुभ मुहूर्त और 5 सितंबर को विसर्जन क्यों नहीं होगा।


गणेश विसर्जन 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त


भाद्रपद मास की चतुर्दशी तिथि 6 सितंबर 2025 को सुबह 03:12 बजे शुरू होगी और 7 सितंबर को तड़के 01:41 बजे खत्म होगी। इस कारण 10 दिन की स्थापना के बाद 6 सितंबर, शनिवार को गणपति का विसर्जन होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह दिन विसर्जन के लिए सबसे उपयुक्त है। नीचे दिए गए शुभ मुहूर्त में आप विसर्जन कर सकते हैं:


सुबह: 07:36 AM – 09:10 AM (शुभ)
दोपहर: 12:19 PM – 05:02 PM (लाभ, अमृत)
शाम: 06:37 PM – 08:02 PM (लाभ)
रात: 09:28 PM – अगले दिन 01:45 AM (शुभ, अमृत, चर)


5 सितंबर को विसर्जन क्यों नहीं?


ज्योतिषाचार्य सचिन पंडित के अनुसार, 5 सितंबर को चतुर्दशी तिथि नहीं होगी, बल्कि त्रयोदशी तिथि रहेगी। शास्त्रों में साफ कहा गया है कि त्रयोदशी पर गणपति का विसर्जन अशुभ माना जाता है।


गणेश जी का आगमन जिस तिथि पर हुआ, उसी के आधार पर 10 दिन पूरे होने पर चतुर्दशी को विसर्जन करना अनिवार्य है। इस परंपरा का पालन करने से ही भक्तों को पूर्ण पुण्य और सिद्धि मिलती है। त्रयोदशी पर विसर्जन करने से धार्मिक नियमों का उल्लंघन होता है और यह अधूरा माना जाता है।


गणेश विसर्जन का गहरा महत्व


सचिन पंडित बताते हैं कि गणेश विसर्जन सिर्फ मूर्ति को जल में विसर्जित करना नहीं है, बल्कि यह जीवन का एक गहरा संदेश देता है। यह परंपरा हमें सिखाती है कि जीवन में सब कुछ अस्थायी है।


बप्पा का आगमन और विदाई इस चक्र को दर्शाता है। भक्त पूरे प्रेम और श्रद्धा के साथ उन्हें विदा करते हैं और अगले साल फिर से आने की प्रार्थना करते हैं – “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ!”