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गाज़ा में इजरायली हवाई हमले में पत्रकार की मौत, मीडिया संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया

गाज़ा में जारी संघर्ष के बीच, इजरायली हवाई हमले में पत्रकार अनस अल शरीफ़ सहित छह मीडिया कर्मियों की जान चली गई। इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों और मानवाधिकार समूहों की तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है। इजरायली सेना ने आरोप लगाया कि अल शरीफ़ एक सक्रिय समूह का हिस्सा थे, जबकि कई संस्थाओं ने इन दावों को अविश्वसनीय बताया है। अनस की अंतिम पोस्ट में उन्होंने गाज़ा में हो रही बमबारी की तस्वीरें साझा की थीं, जो उनकी व्यापक पहुंच को दर्शाती हैं। इस हमले ने न केवल मीडिया जगत को बल्कि आम जनता को भी झकझोर कर दिया है।
 

गाज़ा सिटी में पत्रकारों पर हमला

गाज़ा में चल रहे संघर्ष के बीच, रविवार को गाज़ा सिटी के अल-शिफा अस्पताल के बाहर एक टेंट पर इजरायली हवाई हमले में पत्रकार अनस अल शरीफ़ सहित छह मीडिया कर्मियों की जान चली गई। यह टेंट स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों द्वारा रिपोर्टिंग के लिए उपयोग किया जा रहा था। 28 वर्षीय अनस अल शरीफ़ ने गाज़ा की वास्तविकता को दुनिया के सामने लाने का प्रयास किया।


इस हमले के बाद, अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों और मानवाधिकार समूहों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इजरायली सेना का दावा है कि अल शरीफ़ एक सक्रिय समूह का हिस्सा थे और उन पर इजरायली नागरिकों और सैनिकों पर रॉकेट हमले करवाने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, कई संस्थाओं ने इन दावों को "अविश्वसनीय" बताया है।


अनस अल शरीफ़ की अंतिम पोस्ट उनके एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर थी, जहां उन्होंने गाज़ा में हो रही बमबारी की तस्वीरें और अपडेट साझा किए। उनके अकाउंट पर 5 लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं, जो उनकी व्यापक पहुंच को दर्शाता है। उनकी मौत ने न केवल मीडिया जगत को बल्कि आम जनता को भी झकझोर कर रख दिया है।


अल जज़ीरा नेटवर्क ने कहा कि अनस और उनके सहयोगी गाज़ा की अंतिम "मज़बूत आवाज़ों" में से थे, जो वहां की सच्चाई को दुनिया के सामने लाते थे। चैनल ने इजरायली आरोपों को खारिज करते हुए इसे "पत्रकारों की आवाज़ दबाने की साज़िश" करार दिया।


पत्रकारों की सुरक्षा के लिए काम करने वाली संस्था सीपीजे (कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स) ने भी इजराइल पर गंभीर आरोप लगाए। सीपीजे की मिडिल ईस्ट डायरेक्टर सारा कुदाह ने कहा कि इजराइल की प्रवृत्ति कि वह बिना पुख़्ता सबूत के पत्रकारों को आतंकवादी बताता है, यह प्रेस की स्वतंत्रता के प्रति उसकी प्रतिबद्धता पर प्रश्नचिन्ह लगाती है।