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गाजा पट्टी में बकरीद: महंगे चिकन पर निर्भरता

गाजा पट्टी में इस वर्ष बकरीद का त्योहार आर्थिक तंगी के कारण विशेष चुनौतियों का सामना कर रहा है। युद्ध और मानवीय संकट के चलते, स्थानीय मुसलमान बकरी की जगह महंगे चिकन पर निर्भर हैं। चिकन की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे अधिकांश परिवारों के लिए इसे खरीदना मुश्किल हो गया है। इस स्थिति के लिए इजराइल को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, जबकि राहत संगठनों ने सीमित खाद्य सहायता प्रदान की है। जानिए इस कठिनाई के पीछे की पूरी कहानी।
 

गाजा पट्टी में बकरीद की चुनौतियाँ

गाजा पट्टी में इस वर्ष बकरीद का त्योहार आर्थिक तंगी के बीच मनाया जा रहा है। युद्ध और मानवीय संकट से प्रभावित गाजा के मुसलमान इस बार बकरी की जगह महंगे चिकन पर निर्भर हैं। वर्तमान में चिकन की कीमत लगभग 250 शेकेल प्रति किलो, जो कि लगभग 6,143 रुपए के बराबर है, तक पहुँच गई है।
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, गाजा के सेंट्रल बाजार देइर अल-बलाह में पहली बार चिकन ब्रेस्ट उपलब्ध हुआ है। पहले यह मांस आसानी से मिल जाता था और इसकी कीमत भी सामान्य थी, लेकिन अब यह इतना महंगा हो गया है कि केवल कुछ ही लोग इसे खरीद सकते हैं। चिकन ब्रेस्ट की कीमत लगभग $32.44 प्रति पाउंड है, जो युद्ध से पहले की कीमतों से कई गुना अधिक है।
कुछ अरब संगठनों ने इस स्थिति के लिए इजराइल को जिम्मेदार ठहराया है, उनका कहना है कि इजराइल मानवीय सहायता को रोक रहा है और गाजा के व्यापारियों को ऊँची कीमतों पर चिकन बेचने के लिए मजबूर कर रहा है। इन संगठनों ने तस्वीरें भी साझा की हैं, जिनमें दावा किया गया है कि यह चिकन इजराइल से आया है और यरूशलेम रब्बीनट की कोषेर मुहर लगी हुई है। उन्होंने कहा कि भूखे और विस्थापित लोगों को यह चिकन 110 अमेरिकी डॉलर में बेचा जा रहा है।
गाजा में प्रोटीन की भारी कमी है क्योंकि सुरक्षा कारणों से आपूर्ति व्यवस्था बाधित हो गई है। इसके परिणामस्वरूप मांस और अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतें असाधारण रूप से बढ़ गई हैं। बकरीद जैसे पवित्र त्योहार पर भी अधिकांश परिवार बकरी या दुम्बा नहीं खरीद पाए और उन्हें महंगे चिकन पर निर्भर रहना पड़ा।
दूसरी ओर, गाजा ह्यूमैनिटेरियन फंड (GHF) राहत कार्यों में सक्रिय है। संगठन ने बताया कि अब तक तीन वितरण केंद्रों से लगभग 11.57 लाख खाद्य पैकेट वितरित किए जा चुके हैं। नई योजना के तहत उत्तरी गाजा में 10,560 फूड बॉक्स भी वितरित किए गए हैं, जिनमें लगभग 6 लाख भोजन की खुराक शामिल है। हालाँकि, यह सहायता मांग के मुकाबले बहुत कम है।