गुरुग्राम में ऑनलाइन ट्रेडिंग ठगी का मामला: चार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी
गुरुग्राम में ऑनलाइन ट्रेडिंग ठगी
गुरुग्राम में ऑनलाइन ट्रेडिंग धोखाधड़ी: आजकल लोग जल्दी पैसे कमाने की चाह में साइबर ठगों के जाल में फंस रहे हैं। ऑनलाइन ट्रेडिंग के नाम पर ये ठग लोगों को सबसे ज्यादा निशाना बना रहे हैं।
लोग अमीर बनने के लालच में साइबर ठगों का आसान शिकार बनते जा रहे हैं। ये ठग फर्जी वेबसाइटें बनाकर निवेशकों को आकर्षित करते हैं। निवेश करने पर अच्छा मुनाफा दिखता है, लेकिन जब पैसे निकालने की बारी आती है, तो कुछ नहीं मिलता।
धोखाधड़ी का चौंकाने वाला मामला
साइबर थाना ईस्ट पुलिस ने एक ऐसा मामला दर्ज किया है, जिसमें ठगों ने केवल 12 दिनों में एक व्यक्ति से लगभग चार करोड़ रुपये ठग लिए। पुलिस ने शिकायत के आधार पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) के तहत मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है। जिन खातों में पैसे ट्रांसफर हुए, उनकी जानकारी जुटाई जा रही है ताकि रिकवरी की जा सके।
शेयर मार्केट में उच्च रिटर्न का लालच
सेक्टर-31 के निवासी ओमबीर ने पुलिस को बताया कि उन्हें शेयर मार्केट में उच्च रिटर्न का लालच दिया गया। ठगों ने कॉनिफर आईएनवी ऐप को उनके फोन में डाउनलोड करवाकर एक खाता बनाया। फिर 21 अक्टूबर से 1 नवंबर 2025 तक विभिन्न विदेशी कंपनियों में निवेश करवाते रहे। शुरू में ऐप में अच्छा रिटर्न दिखने लगा।
मुनाफे के लालच में ओमबीर ने 12 दिनों में तीन करोड़ 92 लाख रुपये निवेश कर दिए। ऐप पर मुनाफा पांच करोड़ से अधिक दिख रहा था। लेकिन जब नवंबर में पैसे निकालने की कोशिश की, तो पैसे नहीं निकले। ठगों ने निकासी के लिए और पैसे मांगने शुरू कर दिए। ठगी का अहसास होने पर ओमबीर पुलिस के पास पहुंचे।
ठगी का नया तरीका
जांच अधिकारी ने बताया कि यह ठगी का एक नया तरीका है, जिसमें आरोपी फर्जी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म या ऐप के माध्यम से पीड़ितों को फंसाते हैं। ऐसे ऐप शुरू में छोटे मुनाफे दिखाकर और निवेश का लालच देते हैं। पुलिस अब उन बैंक खातों और पेमेंट गेटवे की जांच कर रही है, जहां ये बड़ी रकम ट्रांसफर हुई। साथ ही, तकनीकी विश्लेषण के जरिए फरार ठगों की पहचान करने का प्रयास किया जा रहा है।
साइबर क्राइम पुलिस ने लोगों को चेतावनी दी है कि किसी भी अनधिकृत या उच्च लाभ का वादा करने वाले ट्रेडिंग ऐप पर आंख मूंदकर भरोसा न करें। निवेश करने से पहले ऐप की विश्वसनीयता और नियामक प्राधिकरण से मान्यता की जांच अवश्य करें।