गेहूं के दामों में गिरावट: किसानों की चिंताएं बढ़ीं
गेहूं के दामों में भारी गिरावट
समाचार - गेहूं के दाम अब आसमान से गिरकर जमीन पर आ गए हैं। पहले एमएसपी से ऊपर चल रहे गेहूं के दाम अब इतनी गिरावट पर हैं कि यह एक नया रिकॉर्ड बन गया है।
किसान अब गेहूं को अपने घरों में स्टोर कर रहे हैं, क्योंकि दामों में कमी आई है। गेहूं की आवक भी कम हो गई है। हालांकि, निजी व्यापारियों के लिए गेहूं की खरीद के नए रास्ते खुल गए हैं, लेकिन किसानों को जो दाम मिल रहा है, वह पहले से काफी कम है।
मार्केट पर प्रभाव:
सरकार ने इस बार गेहूं के एमएसपी में 150 रुपये की बढ़ोतरी की है, जिससे किसानों को सरकारी खरीद पर लाभ मिला है। इससे मार्केट में गेहूं के दाम बढ़े थे, लेकिन अब खराब गुणवत्ता वाले गेहूं के दामों में गिरावट आई है।
2425 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी के बावजूद, गेहूं के दामों में गिरावट एक नया रिकॉर्ड है।
फसल लागत की चिंता:
अधिकतर राज्यों की मंडियों में गेहूं के दाम अब एमएसपी से नीचे आ गए हैं। पहले किसानों ने उच्च दाम पर गेहूं बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया था, लेकिन अब फसल की लागत भी पूरी नहीं हो रही है।
उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में गिरावट:
उत्तर प्रदेश की मंडियों में भी गेहूं के दाम गिर गए हैं। पिछले महीने तक डबल कमाई कर रहे किसान अब आधी कीमत पर बेच रहे हैं। अच्छी गुणवत्ता वाला गेहूं एमएसपी के करीब बिक रहा है, जबकि अधिकांश मंडियों में दाम 2420 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास हैं।
भविष्य की संभावनाएं:
विशेषज्ञों का मानना है कि अगले दो महीनों में गेहूं के दामों में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकता है। गिरावट के बाद गेहूं के दाम फिर से बढ़ सकते हैं, और सितंबर तक दाम 3500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच सकते हैं।
हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि बाजार में गेहूं की मांग कितनी होगी और व्यापारी किस दाम पर खरीद करेंगे।