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गैस कीमतों में राहत की उम्मीद: नए टैरिफ ढांचे के प्रभाव

गैस कीमतों में राहत की उम्मीदें बढ़ रही हैं, क्योंकि PNGRB ने नए टैरिफ ढांचे की घोषणा की है। इससे CNG और PNG की कीमतों में कमी की संभावना है, जो वाहन चालकों और घरेलू उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। नए नियम 2026 से लागू होने की उम्मीद है, जिससे गैस की लागत में स्थिरता आएगी। जानें इस बदलाव का आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा और कब से राहत मिलेगी।
 

नई दिल्ली में गैस कीमतों में राहत की संभावना


नई दिल्ली: साल 2025 के अंत से पहले गैस की कीमतों में राहत मिलने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। PNGRB ने टैरिफ ढांचे में बदलाव करते हुए ट्रांसपोर्टेशन शुल्क को सरल और किफायती बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है।


इन परिवर्तनों का प्रभाव 2026 से CNG और PNG की कीमतों पर देखने को मिल सकता है, जिससे वाहन चालकों और घरेलू रसोई उपयोगकर्ताओं को सीधा लाभ होगा। नए साल को आर्थिक राहत का संकेत माना जा रहा है।


टैरिफ सिस्टम में बदलाव का महत्व

PNGRB ने गैस ट्रांसपोर्टेशन शुल्क को पहले के तीन जोन मॉडल से हटाकर अब दो जोन में सीमित कर दिया है। अब शुल्क केवल 300 किलोमीटर तक और 300 किलोमीटर से अधिक दूरी के आधार पर निर्धारित होगा। इस कदम से राज्यों के बीच कीमतों में भिन्नता कम होगी और वितरण प्रणाली अधिक संतुलित बनेगी। पहले लंबी दूरी के लिए शुल्क बढ़ने से लागत अधिक आती थी।


नए मॉडल से कंपनियों को गैस आपूर्ति श्रृंखला को कम खर्च में संचालित करने का अवसर मिलेगा, जिसका अप्रत्यक्ष लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंच सकता है।


'वन नेशन, वन ग्रिड, वन टैरिफ' का प्रभाव

यूनिफाइड टैरिफ नीति का उद्देश्य पूरे देश में एक समान ट्रांसपोर्टेशन शुल्क लागू करना है। अब आम उपभोक्ताओं से दूरी चाहे जो भी हो, 54 रुपये प्रति MMBTU का समान शुल्क लिया जाएगा। यह नियम गैस ग्रिड को एकीकृत रूप से संचालित करने की योजना को मजबूत करता है। इससे गैस आपूर्ति में पारदर्शिता और समानता बढ़ेगी।


विशेषज्ञों का मानना है कि यह मॉडल देश की ऊर्जा वितरण व्यवस्था को अधिक व्यावहारिक बनाता है, जिससे गैस लागत को स्थिर रखने में मदद मिलेगी और कीमतों में राहत की संभावना बढ़ेगी।


नए ट्रांसपोर्टेशन शुल्क की जानकारी

नए नियमों के अनुसार, 300 किलोमीटर तक गैस ट्रांसपोर्टेशन शुल्क 54 रुपये प्रति MMBTU और 300 किलोमीटर से अधिक दूरी के लिए 102.86 रुपये प्रति MMBTU निर्धारित किया गया है। लेकिन उपभोक्ताओं से किसी भी दूरी के लिए केवल 54 रुपये प्रति MMBTU ही वसूला जाएगा। यह राहतकारी प्रावधान घरेलू और वाहन ईंधन श्रेणी को लागत दबाव से बचाने के लिए जोड़ा गया है।


यह नियम 1 जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना है। इससे कंपनियों को दूरी आधारित लागत में कटौती का लाभ मिलेगा, जबकि उपभोक्ता समान शुल्क के दायरे में रहेंगे।


CNG-PNG की कीमतों में संभावित कमी

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, टैरिफ जोन कम होने और यूनिफाइड शुल्क लागू होने से CNG की कीमत 1.25 से 2.50 रुपये प्रति किलो तक कम हो सकती है। वहीं PNG की कीमतों में 0.90 से 1.80 रुपये प्रति SCM तक की कमी संभव है। यह कटौती ट्रांसपोर्ट सेक्टर और घरेलू उपयोग दोनों के लिए महत्वपूर्ण राहत होगी।


CNG वाहन चालकों के लिए ईंधन खर्च में गिरावट सफर को सस्ता बनाएगी। PNG उपभोक्ताओं को रसोई बजट में सीधा लाभ मिलेगा। कीमतों में यह संभावित राहत 2026 से बाजार में प्रभावी रूप से दिख सकती है।


आम आदमी की जेब पर प्रभाव

ट्रांसपोर्टेशन शुल्क में सुधार से गैस कंपनियों की आपूर्ति लागत कम होने की उम्मीद है। जब कंपनियों की लागत घटती है, तो कीमतों पर दबाव भी कम होता है। इसका लाभ वाहन चालकों, टैक्सी-ऑटो सेवाओं और PNG आधारित घरेलू रसोई उपयोग करने वालों को मिलेगा।


नए साल से इस बदलाव को लेकर उम्मीदें बढ़ी हैं। हालांकि अंतिम कीमतें कंपनियों द्वारा तय होंगी, लेकिन नीति स्तर पर यह सुधार ऊर्जा खर्च को हल्का करने वाला माना जा रहा है। यह फैसला 2026 और आगे के वर्षों के लिए राहतकारी संकेत देता है।