×

ग्वालियर में अंतरजातीय विवाह के चलते युवक की हत्या: जातिवाद का खतरनाक चेहरा

ग्वालियर के हरसी गांव में एक दलित युवक ओमप्रकाश बाथम की अंतरजातीय विवाह के कारण हत्या ने जातिवाद और सामाजिक असहिष्णुता के गंभीर मुद्दों को उजागर किया है। जनवरी 2025 में ओमप्रकाश ने शिवानी झा से विवाह किया, जो उनके परिवारों की इच्छा के खिलाफ था। हाल ही में, शिवानी के परिवार ने ओमप्रकाश पर हमला किया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना ने कानूनी व्यवस्था और समाज की मानसिकता पर सवाल उठाए हैं। क्या समाज में जातिवाद और असहिष्णुता को समाप्त करने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है?
 

ग्वालियर में हुई दिल दहला देने वाली घटना

Inter-Caste Marriage Murder Gwalior: मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के हरसी गांव में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक दलित युवक ओमप्रकाश बाथम की अंतरजातीय विवाह के कारण हत्या कर दी गई। यह घटना जातिवाद की गहरी जड़ों और सामाजिक असहिष्णुता के खतरनाक परिणामों को उजागर करती है।


जनवरी में हुआ विवाह
ओमप्रकाश बाथम ने जनवरी 2025 में शिवानी झा से कोर्ट मैरिज की थी, जो उनके परिवारों की इच्छा के खिलाफ थी। विवाह के बाद, दोनों डबरा में रहने लगे, लेकिन शिवानी के परिवार ने इस रिश्ते को स्वीकार नहीं किया। पिछले कुछ महीनों में, शिवानी के परिवार ने इस विवाह के खिलाफ कई बार विरोध किया और पंचायत भी बुलाई गई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।


परिवार ने की हत्या
19 अगस्त को, ओमप्रकाश और शिवानी अपने पैतृक गांव हरसी लौटे। इस दौरान, शिवानी के पिता द्वारका प्रसाद झा, भाई राजू झा, उमा ओझा और संदीप शर्मा सहित अन्य रिश्तेदारों ने ओमप्रकाश पर लाठियों से हमला किया। इस हमले में शिवानी भी घायल हुईं। परिवार ने ओमप्रकाश को ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन इलाज के बावजूद वह नहीं बच सके।


शिकायत के आधार पर मामला दर्ज
शिवानी की शिकायत पर पहले मारपीट का मामला दर्ज किया गया था, लेकिन ओमप्रकाश की मृत्यु के बाद इसे हत्या में बदल दिया गया। पुलिस ने द्वारका प्रसाद झा, राजू झा, उमा ओझा और संदीप शर्मा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है। मुख्य आरोपी द्वारका प्रसाद झा और अन्य आरोपी फरार हैं।

समाज में नफरत का खतरनाक परिणाम
यह घटना जातिवाद, सामाजिक असहिष्णुता और पारिवारिक दबाव के खतरनाक परिणामों को दर्शाती है। अंतरजातीय विवाह के खिलाफ समाज में गहरी नफरत और असहमति है, जो इस प्रकार की हिंसा को जन्म देती है। कानूनी रूप से यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 302 हत्या और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत आता है।

कानूनी व्यवस्था पर सवाल
ओमप्रकाश बाथम की हत्या न केवल एक व्यक्ति की जान की हानि है, बल्कि यह समाज की मानसिकता और कानूनी व्यवस्था पर भी सवाल उठाती है। इस प्रकार की घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि समाज में जातिवाद और असहिष्णुता को समाप्त करने के लिए शिक्षा, जागरूकता और सख्त कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है।