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चंडीगढ़ कानून निर्माण प्रस्ताव पर केंद्र का स्पष्टीकरण, पंजाब में बढ़ा विवाद

पंजाब में चंडीगढ़ से जुड़े कानून निर्माण प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने स्पष्टीकरण दिया है, जिसमें कहा गया है कि यह प्रस्ताव अभी विचाराधीन है। गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और यह चंडीगढ़ की प्रशासनिक व्यवस्था को प्रभावित नहीं करेगा। हालांकि, राजनीतिक दलों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है, आरोप लगाते हुए कि केंद्र सरकार चंडीगढ़ को पंजाब से छीनने की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान और अन्य नेताओं ने इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है।
 

चंडीगढ़ में कानून निर्माण पर राजनीतिक हलचल


चंडीगढ़: पंजाब में चंडीगढ़ से संबंधित कानून निर्माण के प्रस्ताव को लेकर राजनीतिक विवाद बढ़ने के बीच, केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जारी किया है। गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि चंडीगढ़ के लिए कानून बनाने की प्रक्रिया का प्रस्ताव अभी विचाराधीन है और इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। मंत्रालय ने यह भी कहा कि यह प्रस्ताव चंडीगढ़ की प्रशासनिक व्यवस्था या पंजाब और हरियाणा के साथ इसके संबंधों को प्रभावित नहीं करेगा।


मंत्रालय ने बताया कि सभी संबंधित पक्षों से चर्चा के बाद ही कोई उचित निर्णय लिया जाएगा, इसलिए चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है। गृह मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि संसद के शीतकालीन सत्र में इस संबंध में कोई विधेयक पेश करने की योजना नहीं है। विवाद की शुरुआत तब हुई जब लोकसभा और राज्यसभा के एक कथित बुलेटिन में कहा गया कि केंद्र संविधान संशोधन विधेयक 2025 पेश कर सकता है, जिसके तहत चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के तहत शामिल किया जा सकता है।


पंजाब में विरोध का कारण

अनुच्छेद 240 राष्ट्रपति को कुछ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए सीधे कानून बनाने का अधिकार प्रदान करता है। इस प्रस्ताव के बाद पंजाब में विरोध बढ़ गया है। कई राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार चंडीगढ़ को पंजाब से छीनने की कोशिश कर रही है। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की है और इसे पंजाब के अधिकारों पर हमला बताया है।


मुख्यमंत्री भगवंत मान की प्रतिक्रिया

सीएम भगवंत मान ने कहा कि यह प्रस्ताव पंजाब के हितों के खिलाफ है और चंडीगढ़ पर राज्य के अधिकार को कमजोर कर सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पंजाब अपने अधिकारों से समझौता नहीं करेगा और किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा। बीजेपी पंजाब इकाई के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब का अभिन्न हिस्सा है और इस मुद्दे पर किसी भी भ्रम को दूर किया जाएगा।


सुखबीर सिंह बादल की टिप्पणी

सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि पंजाब के हित सर्वोपरि हैं और किसी भी स्थिति में राज्य के अधिकारों की रक्षा की जाएगी। अकाली दल के अध्यक्ष ने केंद्र सरकार से अपील की है कि इस विधेयक को संसद में न लाया जाए, क्योंकि यह पंजाब के लोगों के साथ अन्याय होगा। कांग्रेस नेता राजा वड़िंग ने भी चेतावनी दी है कि चंडीगढ़ को पंजाब से अलग करने की कोशिश को स्वीकार नहीं किया जाएगा।