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चरखी दादरी में एएसआई को रिश्वत लेने के मामले में तीन साल की सजा

चरखी दादरी में एएसआई विक्रम को रिश्वत लेने के मामले में अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई है। यह मामला तब सामने आया जब एक स्थानीय निवासी ने एएसआई पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। एंटी करप्शन ब्यूरो ने विक्रम को रंगे हाथ पकड़ लिया। अदालत ने इस मामले में सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया है, जिससे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश दिया गया है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और अदालत के फैसले के पीछे की कहानी।
 

एएसआई रिश्वत मामले में अदालत का निर्णय

चरखी दादरी में एएसआई रिश्वत मामले में महत्वपूर्ण फैसला: एडीजे मधुलिका की अदालत ने एएसआई विक्रम को रिश्वत लेने के आरोप में दोषी ठहराते हुए तीन साल की कैद और ₹10,000 का जुर्माना लगाया है। यदि वह जुर्माना नहीं भरता है, तो उसे दो महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।


अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सजा की अवधि में से वह समय घटाया जाएगा जो आरोपी ने पहले ही न्यायिक हिरासत में बिताया है। इसी आधार पर उसकी जमानत भी मंजूर कर दी गई है।


रिश्वत का मामला कैसे उजागर हुआ

कैसे शुरू हुआ रिश्वत का मामला: यह मामला 29 अप्रैल 2022 को चरखी दादरी के निवासी सुशील कुमार की शिकायत पर दर्ज किया गया था। सुशील ने बताया कि उसके भाई सुरेंद्र उर्फ मिंटू का किसी से झगड़ा हुआ था, जिसके चलते सदर थाना चरखी दादरी में मामला दर्ज हुआ। इस मामले की जांच कर रहे एएसआई विक्रम ने सुशील से ₹25,000 की रिश्वत मांगी थी।


एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने योजना बनाकर एएसआई विक्रम को रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया। इसके बाद उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।


अदालत का निर्णय और कानूनी प्रक्रिया

अदालत का फैसला: सुनवाई के दौरान अदालत ने सभी साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर एएसआई विक्रम को दोषी पाया। एडीजे मधुलिका ने कहा कि सरकारी पद पर रहते हुए रिश्वत लेना कानून और नैतिकता दोनों के खिलाफ है।


अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई आवश्यक है ताकि समाज में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण पाया जा सके। यह निर्णय भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश देता है और पुलिस विभाग में पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करता है।