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चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के लिए कर ऑडिट की सीमा निर्धारित

भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान (आईसीएआई) ने अगले वित्तीय वर्ष से चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के लिए कर ऑडिट की सीमा 60 तक सीमित करने का निर्णय लिया है। यह कदम गड़बड़ी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से उठाया गया है। आईसीएआई के अध्यक्ष ने बताया कि यह व्यवस्था एक अप्रैल, 2026 से लागू होगी। इसके साथ ही, घरेलू चार्टर्ड अकाउंटेंट फर्मों के लिए विदेशी नेटवर्किंग के दिशा-निर्देशों पर सुझाव देने की समय-सीमा भी बढ़ा दी गई है।
 

आईसीएआई की नई दिशा-निर्देश

भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान (आईसीएआई) ने शुक्रवार को घोषणा की कि अगले वित्तीय वर्ष से चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 60 कर ऑडिट करने की अनुमति होगी।


आईसीएआई के अध्यक्ष चरणजोत सिंह नंदा ने बताया कि यह सीमा पहले से लागू थी, लेकिन चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को साझेदारों के लिए भी ऑडिट करने की अनुमति थी। इसका अर्थ है कि यदि किसी ऑडिट फर्म में चार साझेदार हैं, तो प्रत्येक साझेदार दूसरे के लिए भी ऑडिट कर सकता है।


इस प्रकार, एक ऑडिट फर्म 240 ऑडिट तक कर सकती है, जबकि एक साझेदार व्यक्तिगत रूप से 60 से अधिक ऑडिट कर सकता है। नंदा ने कहा कि व्यक्तिगत साझेदारों के लिए कर ऑडिट की सीमा को 60 तक सीमित करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि यह व्यवस्था एक अप्रैल, 2026 से लागू होगी।


इसके साथ ही, आईसीएआई के किसी भी सदस्य द्वारा हस्ताक्षरित सभी कर ऑडिट की कुल सीमा 60 होगी, चाहे वह व्यक्तिगत रूप से हो या फर्म के भागीदार के रूप में। हालांकि, इस सीमा में कुछ छूट भी दी जाएगी। इसके अलावा, एक साझेदार किसी अन्य साझेदार की ओर से किसी भी कर ऑडिट रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं कर सकता।


नंदा ने कहा कि ऑडिट की सीमा लगाने का उद्देश्य गड़बड़ी पर नियंत्रण पाना है। उन्होंने कहा, 'यूडीआईएन के साथ हम हर चीज पर नियंत्रण रख रहे हैं। हम पूरी तरह से गड़बड़ी को रोकने की दिशा में काम कर रहे हैं।' आईसीएआई ने गलत कामों और चार्टर्ड अकाउंटेंट के हस्ताक्षरों के फर्जी होने की शिकायतों के मद्देनजर विशिष्ट दस्तावेज पहचान संख्या (यूडीआईएन) प्रणाली लागू की है। यह एक विशिष्ट संख्या होती है जो किसी कार्यरत चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा प्रमाणित या सत्यापित प्रत्येक दस्तावेज के लिए बनाई जाती है।


इस बीच, घरेलू चार्टर्ड अकाउंटेंट फर्मों के लिए विदेशी नेटवर्किंग के मसौदा दिशा-निर्देशों पर सुझाव देने की समय-सीमा 16 जुलाई तक बढ़ा दी गई है।