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जस्टिस सूर्यकांत बने भारत के नए चीफ जस्टिस, 10 महत्वपूर्ण फैसलों से मिली पहचान

जस्टिस सूर्यकांत ने हाल ही में भारत के 53वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली। उनका कार्यकाल 9 फरवरी 2027 तक रहेगा। हरियाणा से आने वाले पहले CJI, सूर्यकांत ने कई महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों में महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। उनके द्वारा किए गए ऐतिहासिक निर्णयों में आर्टिकल 370 का रद्द होना, देशद्रोह कानून पर रोक और महिलाओं के लिए बार एसोसिएशन में रिजर्वेशन शामिल हैं। जानें उनके करियर की उपलब्धियाँ और उनके द्वारा किए गए अन्य महत्वपूर्ण फैसले।
 

जस्टिस सूर्यकांत का नया कार्यकाल

जस्टिस सूर्यकांत, जिनका जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में हुआ, ने भारत के 53वें चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार ग्रहण किया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति में उन्हें शपथ दिलाई।


15 महीने का कार्यकाल

राष्ट्रपति मुर्मू ने 30 अक्टूबर 2025 को जस्टिस सूर्यकांत के प्रमोशन को मंजूरी दी, जो पूर्व CJI बी.आर. गवई की सिफारिश पर आधारित था। वे 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर रहेंगे और कई महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों की देखरेख करेंगे।


हरियाणा से पहले CJI

जस्टिस सूर्यकांत हरियाणा से पहले चीफ जस्टिस बनकर इतिहास रचते हैं। उन्होंने 1984 में महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी, रोहतक से कानून की डिग्री प्राप्त की और 2011 में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री हासिल की।


करियर की उपलब्धियाँ

2000 में, वे हरियाणा के सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरल बने। 2001 में, उन्हें सीनियर एडवोकेट का दर्जा मिला। 9 जनवरी 2004 को, उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में स्थायी जज बनाया गया। इसके बाद, उन्होंने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में कार्य किया। 24 मई 2019 को, उन्हें सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किया गया।


जस्टिस सूर्यकांत के महत्वपूर्ण फैसले

1. आर्टिकल 370 पर फैसला: जस्टिस सूर्यकांत उस बेंच का हिस्सा थे जिसने जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराया।


2. देशद्रोह कानून पर रोक: उन्होंने आदेश दिया कि पुराने देशद्रोह कानून के तहत कोई नई FIR दर्ज न की जाए।


3. राज्यपालों और राष्ट्रपति की शक्तियां: उन्होंने राज्य के कानूनों के बारे में राज्यपालों और राष्ट्रपति की शक्तियों का विश्लेषण किया।


4. बिहार इलेक्टोरल रोल केस: चुनाव आयोग को 65 लाख वोटरों की सूची सार्वजनिक करने का निर्देश दिया।


5. बार एसोसिएशन में महिलाओं का रिज़र्वेशन: सभी बार एसोसिएशन में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें रिज़र्व करने का आदेश दिया।


6. PM मोदी की पंजाब सिक्योरिटी में चूक: उनकी बेंच ने एक जांच कमेटी बनाई।


7. वन रैंक, वन पेंशन (OROP) को बरकरार रखना: उन्होंने OROP स्कीम को बरकरार रखा।


8. AMU माइनॉरिटी स्टेटस केस: उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए माइनॉरिटी स्टेटस की संभावना को फिर से खोला।


9. पेगासस स्पाइवेयर केस: पेगासस को असंवैधानिक बताते हुए जांच का आदेश दिया।


10. महिला सरपंच की बहाली: उन्होंने गलत तरीके से हटाई गई महिला सरपंच को बहाल किया।