×

जीएसटी कटौती: मोदी सरकार का दिवाली का तोहफा और ट्रम्प की चुनौती

भारत की अर्थव्यवस्था में हालिया बदलावों के तहत, मोदी सरकार ने जीएसटी में कटौती का ऐलान किया है, जिसे दिवाली से पहले आम जनता के लिए एक उपहार माना जा रहा है। इस लेख में, हम समझेंगे कि यह कटौती कैसे आम आदमी को लाभ पहुंचाएगी, महंगाई पर इसका क्या असर होगा, और ट्रम्प द्वारा लगाए गए टैरिफ से निपटने की रणनीति क्या है। जानें कि यह निर्णय किस प्रकार से अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे सकता है और क्या यह चुनावी स्टंट है या वास्तविक राहत।
 

भारत की अर्थव्यवस्था में बदलाव


राकेश सिंह | भारत की आर्थिक स्थिति में महत्वपूर्ण परिवर्तन हो रहा है। सितंबर 2025 में, नरेंद्र मोदी सरकार ने जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) में कटौती का ऐलान किया है। यह निर्णय दिवाली से पहले आम जनता के लिए एक उपहार के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन इसके पीछे एक बड़ा उद्देश्य है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ से निपटना। ट्रम्प ने भारत पर 50 प्रतिशत तक के टैरिफ लगाए हैं, जिससे हमारे निर्यात को गंभीर नुकसान हो सकता है। ऐसे में जीएसटी में कटौती से घरेलू बाजार को सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है। आइए, समझते हैं कि जीएसटी कटौती का क्या प्रभाव पड़ेगा, यह दिवाली का उपहार कैसे है और ट्रम्प के टैरिफ से कैसे निपटा जाएगा।


जीएसटी कटौती का विवरण

जीएसटी कटौती के संदर्भ में, जीएसटी काउंसिल की बैठक में निर्णय लिया गया कि चार स्लैब 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत को घटाकर मुख्य रूप से दो स्लैब में समाहित किया जाएगा। ये स्लैब 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत होंगे। 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत वाले स्लैब को समाप्त कर दिया गया है। कुछ लग्जरी सामान जैसे तंबाकू और महंगी कारों पर 40 प्रतिशत का विशेष डेमेरिट रेट लागू होगा। यह बदलाव 22 सितंबर 2025 से प्रभावी होगा, जो दिवाली से पहले है। इससे रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती होंगी, जैसे साबुन, टूथपेस्ट, शैंपू, तेल, चाय, स्कूल की सामग्री, दवाएं और मेडिकल उपकरण। एयर कंडीशनर, टीवी, वाशिंग मशीन जैसी घरेलू वस्तुओं पर जो पहले 28 प्रतिशत टैक्स में आती थीं, अब 18 प्रतिशत के स्लैब में आएंगी। छोटी कारों पर भी टैक्स में कमी आएगी, जिससे ऑटो सेक्टर को लाभ होगा।


आम आदमी को लाभ

इस कटौती का सबसे बड़ा लाभ आम आदमी को होगा। महंगाई पहले से ही कम है, और जुलाई 2025 में मुद्रास्फीति केवल 1.55 प्रतिशत थी। जीएसटी में कमी से वस्तुएं और सस्ती होंगी, जिससे लोगों की जेब में अधिक पैसे बचेंगे। इससे खर्च बढ़ेगा, खासकर दिवाली के त्योहार पर। लोग नए कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स, मिठाई या घरेलू सामान की अधिक खरीदारी करेंगे। अर्थव्यवस्था का 60 प्रतिशत हिस्सा उपभोग पर निर्भर है, इसलिए यह कटौती जीडीपी को 0.1 से 0.16 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है। मुद्रास्फीति भी 40-60 बेसिस पॉइंट्स कम हो सकती है। छोटे व्यवसायों और एमएसएमई को राहत मिलेगी, क्योंकि टैक्स प्रणाली सरल होगी और अनुपालन आसान होगा।


ट्रम्प के टैरिफ का प्रभाव

अगस्त 2025 में, ट्रम्प ने भारत पर 50 प्रतिशत तक के टैरिफ लगाए, जिससे भारत के 87 बिलियन डॉलर के निर्यात पर प्रभाव पड़ा। टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वेलरी, ऑटो पार्ट्स, केमिकल्स, फर्नीचर और झींगा फार्मिंग जैसे क्षेत्रों पर इसका बड़ा असर होगा। अनुमान है कि इससे जीडीपी पर 0.4 से 0.7 प्रतिशत का नुकसान होगा, और लाखों नौकरियां जा सकती हैं। मोदी सरकार ने इस स्थिति का जवाब नहीं दिया, बल्कि घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया।


निष्कर्ष

जीएसटी कटौती इसी रणनीति का हिस्सा है। निर्यात में कमी से होने वाले नुकसान को घरेलू खपत बढ़ाकर पूरा किया जाएगा। सरकार आत्मनिर्भर भारत पर जोर दे रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी कट्स से 50 बिलियन डॉलर का स्टिमुलस मिलेगा, जो ट्रम्प के टैरिफ के प्रभाव को कवर कर सकता है। हालांकि, चुनौतियां भी हैं। राज्यों को टैक्स राजस्व में कमी हो सकती है, और यदि कंपनियां कीमतें नहीं घटातीं, तो लाभ नहीं पहुंचेगा। कुल मिलाकर, यह कटौती अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगी।