×

जीएसटी में बड़ा बदलाव: नई कर संरचना से सस्ती होंगी आवश्यक वस्तुएं

जीएसटी परिषद की हालिया बैठक में कर व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिसमें आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स में कमी और लग्जरी सामान पर बढ़ोतरी शामिल है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में नए ढांचे के तहत 5%, 18% और 40% के तीन स्लैब पेश किए गए हैं। इससे कपड़े, जूते, दवाएं और खाद्य सामग्री सस्ती होंगी, जबकि महंगी वस्तुओं पर टैक्स बढ़ेगा। छोटे व्यवसायों को भी राहत दी गई है, लेकिन विपक्षी राज्यों ने राजस्व घाटे की चिंता जताई है।
 

कर व्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन

कर व्यवस्था में बदलाव: नई दिल्ली में 3 सितंबर 2025 को आयोजित जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक ने देश की कर प्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में 12% और 28% के स्लैब को समाप्त करते हुए एक नया ढांचा पेश किया गया। अब केवल तीन श्रेणियां होंगी: 5% (आवश्यक वस्तुएं), 18% (अधिकतर वस्तुएं और सेवाएं) और 40% (सिन और लग्जरी सामान)। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि नया टैक्स ढांचा 22 सितंबर से लागू होगा.


जरूरी चीजें होंगी सस्ती

दवाएं और खाद्य सामग्री जैसी जरूरी चीजें सस्ती

इस निर्णय से कपड़े, जूते, दवाएं और खाद्य सामग्री जैसी आवश्यक वस्तुएं सस्ती होंगी। 2,500 रुपये तक के कपड़ों और जूतों पर अब केवल 5% जीएसटी लगेगा। घी, मक्खन, अचार, चटनी, बादाम और तैयार खाद्य पदार्थों पर भी टैक्स घटकर 5% कर दिया गया है। टीवी, फ्रिज और छोटी कारों पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है। स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और जीवन रक्षक दवाओं पर कर 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है। कुल मिलाकर लगभग 175 वस्तुओं पर टैक्स में कमी होगी.


महंगी होंगी लग्जरी वस्तुएं

हालांकि, लग्जरी और सिन गुड्स महंगे होंगे। 50 लाख रुपये से अधिक कीमत की गाड़ियों, तंबाकू और पान मसाले पर 40% टैक्स लगेगा। वहीं, इलेक्ट्रिक वाहनों पर भी असर पड़ेगा। 20-40 लाख रुपये की ईवी पर टैक्स 5% से बढ़कर 18% और 40 लाख से ऊपर वाली ईवी पर 40% तक हो सकता है। कोयले पर जीएसटी 5% से बढ़ाकर 18% कर दिया गया, जिससे बिजली की लागत बढ़ सकती है.


छोटे व्यवसायों को मिलेगी राहत

छोटे व्यवसायों और निर्यातकों को राहत

बैठक में छोटे व्यवसायों और निर्यातकों को भी राहत दी गई। MSME और स्टार्टअप्स के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन का समय 30 दिन से घटाकर 3 दिन कर दिया गया। निर्यातकों के लिए रिफंड अब स्वत: जारी होंगे और रिटर्न फाइलिंग भी सरल होगी.


राजस्व घाटे की चिंता

हालांकि, विपक्षी राज्यों ने राजस्व घाटे की चिंता जताई। पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने केंद्र से मांग की कि 40% टैक्स से होने वाली आमदनी का हिस्सा उन्हें दिया जाए। जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्लाह ने चेतावनी दी कि यदि मुआवजा नहीं दिया गया तो राज्यों की आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है.


महंगाई में कमी की संभावना

महंगाई में 20-25 बेसिस पॉइंट की कमी

SBI रिसर्च के अनुसार, नए ढांचे से सरकार को सालाना 60,000 करोड़ से 1.1 लाख करोड़ रुपये तक राजस्व का नुकसान हो सकता है, लेकिन औसत जीएसटी दर घटने से महंगाई में 20-25 बेसिस पॉइंट की कमी आएगी। सरकार का कहना है कि टैक्स कटौती का लाभ सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचना चाहिए.


उपभोक्ताओं को राहत

कुल मिलाकर, यह सुधार आम उपभोक्ताओं को राहत देगा। कपड़े, जूते, दवाएं और खाद्य सामग्री सस्ती होंगी। हालांकि, लग्जरी गाड़ियां, ईवी और बिजली महंगी हो सकती हैं। नया कर ढांचा "जीएसटी 2.0" की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.