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ट्रंप के परमाणु परीक्षण आदेश से वैश्विक चिंता बढ़ी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया आदेश ने परमाणु परीक्षण को लेकर वैश्विक चिंता को जन्म दिया है। उन्होंने कहा है कि अमेरिका के पास पर्याप्त परमाणु हथियार हैं, लेकिन तकनीकी क्षमता बनाए रखने के लिए परीक्षण आवश्यक है। रूस और चीन की बढ़ती परमाणु महत्वाकांक्षा को देखते हुए, ट्रंप ने यह कदम उठाया है। इस आदेश के बाद, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इससे वैश्विक स्तर पर नए हथियारों की दौड़ शुरू हो सकती है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
 

अमेरिकी राष्ट्रपति का विवादास्पद आदेश

नई दिल्ली - अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा परमाणु परीक्षण के लिए दिए गए आदेश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है। आलोचनाओं के बावजूद, ट्रंप अपने निर्णय पर अडिग हैं। उनका कहना है कि अमेरिका के पास इतने परमाणु हथियार हैं कि वे पूरी दुनिया को 150 बार नष्ट कर सकते हैं, फिर भी परीक्षण आवश्यक है ताकि देश अपनी तकनीकी क्षमता को बनाए रख सके।


रूस और चीन की परमाणु महत्वाकांक्षा

ट्रंप ने बताया कि रूस और चीन की तेजी से बढ़ती परमाणु महत्वाकांक्षा अमेरिका के लिए एक चुनौती बन गई है। उन्होंने कहा, "रूस ने नए परमाणु परीक्षण शुरू कर दिए हैं, और चीन भी ऐसा कर रहा है। उत्तर कोरिया लगातार परीक्षण कर रहा है। ऐसे में अमेरिका अकेला देश नहीं रह सकता जो परीक्षण नहीं कर रहा है।"


शी जिनपिंग से मुलाकात से पहले का आदेश

एक अमेरिकी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में, ट्रंप ने खुलासा किया कि उन्होंने दक्षिण कोरिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात से पहले रक्षा विभाग को तुरंत परमाणु परीक्षण शुरू करने का आदेश दिया था। इस आदेश की घोषणा उन्होंने सोशल मीडिया पर की, जिसके बाद वैश्विक समुदाय में चिंता की लहर दौड़ गई।


दुनियाभर में आलोचना और चिंता

ट्रंप के इस बयान की विश्वभर में निंदा हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिका ने फिर से परमाणु परीक्षण शुरू किए, तो यह वैश्विक स्तर पर नए हथियारों की दौड़ को जन्म दे सकता है। इससे दशकों की कूटनीतिक कोशिशों से बनी परमाणु निरस्त्रीकरण प्रक्रिया को गंभीर झटका लग सकता है।


1992 के बाद पहली बार अमेरिकी परीक्षण

अमेरिका ने आखिरी बार 1992 में 'ऑपरेशन जूलियन' के तहत परमाणु परीक्षण किया था। तब से अब तक उसने कोई नया परीक्षण नहीं किया। अमेरिका और रूस दोनों ही परमाणु परीक्षण पर रोक लगाने वाली संधि CTBT (Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty) के हस्ताक्षरकर्ता हैं, हालांकि इसे सभी देशों ने अनुमोदित नहीं किया है। इस संधि पर 187 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें भारत, चीन, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इस्राइल भी शामिल हैं।