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ट्रंप ने ईरान-इजरायल संघर्ष में सीजफायर की मांग की

डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान-इजरायल संघर्ष में सीजफायर की मांग की है, जिसके बाद कई सवाल उठ रहे हैं। क्या यह अमेरिका की मजबूरी थी? जानें इस संघर्ष में किसकी जीत हुई और कतर की भूमिका क्या रही। ईरान के हमले और ट्रंप की प्रतिक्रिया के बारे में विस्तार से जानें।
 

सीजफायर की मांग

ईरान के एक टीवी चैनल के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के हमले के बाद युद्धविराम के लिए गुहार लगाई। स्टेट टीवी ने बताया कि ईरान और इजरायल के बीच 12 दिनों तक चले संघर्ष के बाद ट्रंप ने सीजफायर की घोषणा की। उन्होंने 24 जून को एक पोस्ट में लिखा कि युद्धविराम लागू हो चुका है और सभी पक्षों से अनुरोध किया कि इसका उल्लंघन न करें। इस घोषणा के बाद सीजफायर के संदर्भ में कई सवाल उठने लगे हैं। अमेरिका ने पहले दावा किया था कि वह ईरान को नष्ट कर देगा, तो फिर अचानक सीजफायर की आवश्यकता क्यों पड़ी? अब यह भी चर्चा का विषय है कि इस संघर्ष में किसकी जीत हुई और किसकी हार।


किसकी हुई जीत?

जब ट्रंप ने सीजफायर की घोषणा की, तो इसके तुरंत बाद ईरान द्वारा इजरायल पर मिसाइल हमले की खबरें आईं, जिससे ट्रंप की स्थिति मजाक का विषय बन गई। जी7 की बैठक छोड़ने के बाद ट्रंप ने कहा था कि सीजफायर से कुछ बड़ा होगा, लेकिन दो दिन बाद ही ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमला कर दिया गया। क्या यह ट्रंप का ईरान को कोई संकेत देने का प्रयास था? 19 जून को सैटेलाइट तस्वीरों में देखा गया कि फोर्डो न्यूक्लियर साइट से ईरान ने सभी वॉरहेड हटा लिए थे, और इसके बाद 20 जून को अमेरिकी बी2 बॉम्बर ने हमला किया।


व्हाइट हाउस से फोन कॉल

जब ईरान पर हमला हो रहा था, तब वह इजरायल में तबाही मचा रहा था। अमेरिका और इजरायल ने मिलकर ईरान को झुकाने का प्रयास किया, लेकिन ईरान ने रुकने से इनकार कर दिया। कहा जा रहा है कि ट्रंप के एक दूत ने ईरान को फोन किया, जिसके बाद सीजफायर पर सहमति बनी। यह स्पष्ट है कि सीजफायर की आवश्यकता अमेरिका को अधिक थी। व्हाइट हाउस से फोन आने पर ईरान ने कहा कि बातचीत तभी संभव है जब इजरायल के हमले बंद होंगे।


कतर की भूमिका

ईरान ने कतर पर कई हमले किए, लेकिन ये हमले अमेरिकी सैन्य अड्डों पर थे। कतर का एयर डिफेंस सिस्टम कई मिसाइलों को रोकने में सफल रहा, लेकिन कुछ मिसाइलें अपने लक्ष्य को हिट करने में सफल रहीं। कतर ने अमेरिका पर दबाव बनाया, जिससे अमेरिका को झुकना पड़ा। कतर ने सैन्य अड्डा शांति स्थापित करने के लिए दिया था, लेकिन जब खुद कतर में शांति भंग होने का खतरा बढ़ा, तो अमेरिका पर दबाव बनाया गया। कतर के प्रमुख ने ईरान और अमेरिका के बीच बातचीत के लिए पूरी रात काम किया।