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डॉ. भीमराव अंबेडकर को महापरिनिर्वाण दिवस पर श्रद्धांजलि

जींद में डॉ. भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों में उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रिषिपाल हैबतपुर ने बाबा साहब के संघर्ष और उनके योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का मुख्य साधन बताया। हरियाणा राज्य सूचना आयुक्त कर्मवीर सैनी ने भी उनके विचारों की प्रासंगिकता पर जोर दिया। जानें इस विशेष दिन की महत्वपूर्ण बातें और डॉ. अंबेडकर का योगदान।
 

बाबा साहब की भूमिका का महत्व


जींद में शनिवार को भारतीय संविधान के निर्माता और भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। रानी तालाब परिसर में उनकी प्रतिमा पर स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आम जनता ने भी उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी।


बाबा साहब का संघर्ष

इस अवसर पर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रिषिपाल हैबतपुर ने कहा कि बाबा साहब ने अपने जीवन का अधिकांश समय वंचितों, गरीबों और महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष में बिताया। उन्होंने संविधान के माध्यम से हर नागरिक को समान अधिकार और अवसर प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया।


शिक्षा का महत्व

रिषिपाल हैबतपुर ने आगे कहा कि बाबा साहब ने शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का सबसे प्रभावी साधन माना। उन्होंने अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए शिक्षा की ऊंचाइयों को प्राप्त किया। उनके बिना आधुनिक भारत की कल्पना अधूरी है।


डॉ. अंबेडकर का योगदान

हरियाणा राज्य सूचना आयुक्त कर्मवीर सैनी ने भी डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर का जीवन और उनके विचार आज भी देश को दिशा प्रदान कर रहे हैं।


उन्होंने यह भी कहा कि यदि आज भारत का गरीब, दलित और पिछड़ा वर्ग विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सका है, तो इसका श्रेय बाबा साहब की दूरदृष्टि और सामाजिक न्याय की परिकल्पना को जाता है।