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डोनाल्ड ट्रंप का नया टैरिफ: 90 देशों पर बढ़े आयात शुल्क, भारत भी प्रभावित

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 90 देशों पर आयात शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया है, जो अब लागू हो चुका है। इस नीति का सबसे अधिक प्रभाव ब्राजील और सीरिया पर पड़ा है, जबकि भारत पर 50% टैरिफ 27 अगस्त से लागू होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बढ़ा हुआ बोझ अंततः अमेरिकी उपभोक्ताओं पर असर डालेगा। जानें इस नीति का वैश्विक व्यापार और विभिन्न मुद्राओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
 

टैरिफ की नई नीति का आगाज़

डोनाल्ड ट्रंप: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 90 से अधिक देशों पर आयात शुल्क बढ़ाने का निर्णय लिया है, जो अब लागू हो चुका है। इस नए टैरिफ के चलते अंतरराष्ट्रीय व्यापार में चिंता का माहौल बन गया है। विदेशी वस्तुओं पर बढ़े शुल्क के कारण अमेरिकी आयातकों को अतिरिक्त लागत का सामना करना पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बढ़ा हुआ बोझ अंततः अमेरिकी उपभोक्ताओं पर असर डालेगा, क्योंकि कंपनियां अपनी लागत को पूरा करने के लिए कीमतें बढ़ा सकती हैं।


भारत पर 50% टैरिफ का असर

50% टैरिफ लागू होने की तैयारी

भारत भी उन देशों में शामिल है, जिस पर 27 अगस्त से 50% का टैरिफ लागू होगा। हालांकि, अभी तक शुल्क प्रभावी नहीं हुए हैं, लेकिन इसका असर भारतीय वित्तीय बाजारों में देखा जा रहा है। रुपये की डॉलर के मुकाबले कमजोरी इसके संकेत दे रही है। 7 अगस्त को रुपया 87.51 प्रति डॉलर के स्तर पर पहुँच गया, जो इस नीति के प्रभाव की ओर इशारा करता है। रिपोर्ट के अनुसार, डॉलर के मुकाबले रुपये का वार्षिक प्रदर्शन 4.26% कमजोर हुआ है, जबकि अगस्त के पहले सप्ताह में 0.14% की गिरावट देखी गई है। यह निवेशकों के सतर्क व्यवहार को दर्शाता है.


ब्राजील और सीरिया पर सबसे अधिक प्रभाव

ब्राजील और सीरिया सबसे अधिक प्रभावित

ब्राजील इस नीति से सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक है, जहाँ लगभग सभी वस्तुओं पर 50% टैरिफ लागू हो चुका है। भारत के लिए यह दर 27 अगस्त से प्रभावी होगी। सीरिया दूसरे स्थान पर है, जहाँ 41% शुल्क लगाया गया है। लाओस और म्यांमार 40% शुल्क के साथ तीसरे स्थान पर हैं, जबकि स्विट्जरलैंड 39% शुल्क के साथ चौथे स्थान पर है। कनाडा, इराक और सर्बिया जैसे देशों को भी 35% टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है.


अन्य मुद्राओं पर प्रभाव

अन्य मुद्राओं पर भी पड़ा असर

हाल ही में, जिन देशों पर 35% या उससे अधिक शुल्क लगाया गया है, उनकी मुद्राओं में गिरावट देखी गई है। स्विट्जरलैंड और कनाडा जैसी मुद्राएं, जो आमतौर पर स्थिर मानी जाती हैं, वहां भी डॉलर के मुकाबले गिरावट आई है, जो वैश्विक मुद्रा दबाव को दर्शाता है.


धनी देशों की मुद्राएं स्थिर

धनी देशों की मुद्राएं अभी स्थिर

कुवैत, बहरीन और ओमान जैसी उच्च-मूल्य वाली मुद्राएं फिलहाल स्थिर बनी हुई हैं। इनमें कोई उल्लेखनीय उतार-चढ़ाव नहीं दिखा, जो दर्शाता है कि उनकी अर्थव्यवस्थाएं अभी इस व्यापारिक दबाव से अप्रभावित हैं। हालांकि, यदि व्यापार तनाव और बढ़ता है, तो इन मुद्राओं पर भी प्रभाव संभव है.


व्यापार वार्ताएं जारी

कुछ देशों के साथ बातचीत जारी

भारत के अलावा कई अन्य देशों के साथ अमेरिका की व्यापार वार्ताएं अभी चल रही हैं। उदाहरण के लिए, चीन पर प्रस्तावित 30% टैरिफ फिलहाल टल गया है क्योंकि दोनों देशों ने 12 अगस्त तक बातचीत का समय लिया है। मेक्सिको के लिए टैरिफ अस्थायी रूप से 25% पर स्थिर रखा गया है और कनाडा को समझौतों के तहत आंशिक छूट दी गई है.