×

डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से लागू की यात्रा प्रतिबंध नीति, 12 देशों के नागरिकों पर रोक

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में यात्रा प्रतिबंधों की नई नीति लागू की है, जिसमें 12 देशों के नागरिकों पर रोक लगाई गई है। यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर उठाया गया है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह मुस्लिम विरोधी है। इस नीति के लागू होने से प्रवासी समुदायों में चिंता बढ़ गई है, और मानवाधिकार संगठनों ने इसे चुनौती देने का संकेत दिया है। जानें इस नीति के पीछे के कारण और अमेरिका की वैश्विक छवि पर इसके संभावित प्रभाव।
 

ट्रंप की नई यात्रा प्रतिबंध नीति

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में यात्रा प्रतिबंधों की सख्त नीति को फिर से लागू किया है। अपने पहले कार्यकाल की विवादास्पद नीति को दोबारा जीवित करते हुए, ट्रंप ने बुधवार को 12 देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगाने वाले आदेश पर हस्ताक्षर किए। यह नीति आज से प्रभावी हो गई है। ट्रंप ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित कदम बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य आतंकवाद और अवैध आप्रवासन को रोकना है।


कौन से देश शामिल हैं?

इस आदेश के तहत अफगानिस्तान, म्यांमार, चाड, कांगो गणराज्य, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर रोक लगाई गई है। इसके साथ ही, बुरुंडी, क्यूबा, लाओस, सिएरा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेजुएला पर भी बढ़े हुए प्रतिबंध लागू होंगे, खासकर उन लोगों के लिए जिनके पास वैध अमेरिकी वीज़ा नहीं है और जो अमेरिका से बाहर हैं।


संभावित कानूनी विवाद

कोर्ट से फिर हो सकता है टकराव

यह नीति बिना किसी समयसीमा के लागू की गई है, जिसका मतलब है कि इसकी समाप्ति की कोई निश्चित तारीख नहीं है। ट्रंप पहले भी ऐसे प्रतिबंधों के कारण अमेरिकी अदालतों से टकरा चुके हैं। 2017 में जब उन्होंने सात मुस्लिम देशों के नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगाई थी, तब इस आदेश को कई अदालतों में चुनौती मिली थी। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसके संशोधित संस्करण को वैध करार दिया था.


पिछले प्रतिबंधों की याद

पहले भी मुस्लिम देश रहे निशाने पर

ट्रंप के पहले कार्यकाल में इराक, सीरिया, ईरान, सूडान, लीबिया, सोमालिया और यमन जैसे मुस्लिम देशों पर प्रतिबंध लगाया गया था। इसके चलते हजारों यात्रियों को अमेरिका आने से रोका गया था। एयरपोर्ट पर लोगों को हिरासत में लिया गया था। तब इस नीति को 'मुस्लिम बैन' कहा गया था, जिसका वैश्विक स्तर पर विरोध हुआ था.


क्या यह मुस्लिम विरोधी नीति है?

क्या यह मुस्लिम विरोधी नीति है?

ट्रंप का कहना है कि उनकी नीति किसी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह सुरक्षा के लिए आवश्यक है। लेकिन आलोचकों का तर्क है कि नए प्रतिबंध भी उन्हीं देशों को निशाना बना रहे हैं, जो मुस्लिम आबादी वाले हैं। इससे पहले ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान में अमेरिका में मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी.


प्रवासी समुदाय की चिंताएँ

प्रवासी समुदायों में चिंता

इस आदेश के बाद अफ्रीका और मध्य पूर्व के देशों से जुड़े प्रवासी समुदाय में चिंता बढ़ गई है। अमेरिका में बसे कई परिवारों के अपने रिश्तेदारों से मिलने के रास्ते बंद हो गए हैं। मानवाधिकार संगठनों ने इसे मानवता विरोधी करार देते हुए चुनौती देने का संकेत दिया है.


अमेरिका की छवि पर प्रभाव

अमेरिका की इमेज पर असर

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह नीति अमेरिका की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचा सकती है। यह कदम देश की बहुसांस्कृतिक पहचान और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ माना जा रहा है। अब देखना होगा कि अदालतें इस आदेश को किस तरह से देखती हैं.