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दिल्ली उपचुनाव 2025: बीजेपी ने जीती 7 सीटें, आम आदमी पार्टी को मिली 3

दिल्ली नगर निगम के 12 वार्डों में हुए उपचुनाव के परिणाम सामने आ गए हैं। बीजेपी ने 7 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि आम आदमी पार्टी को 3 और कांग्रेस को 1 सीट मिली। इस चुनाव में कुल 51 उम्मीदवारों ने भाग लिया। मतदान प्रतिशत पिछले चुनावों की तुलना में कम रहा। जानें इस चुनाव के परिणामों का क्या मतलब है और यह आगामी चुनावों पर कैसे असर डाल सकता है।
 

दिल्ली नगर निगम उपचुनाव के परिणाम


नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम के 12 वार्डों में हुए उपचुनाव के परिणाम घोषित हो गए हैं। भारतीय जनता पार्टी ने 7 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि आम आदमी पार्टी को 3 सीटें मिली हैं। कांग्रेस ने 1 सीट पर जीत दर्ज की है, और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी एक सीट पर कब्जा किया है। इन उपचुनावों में कुल 38.51 प्रतिशत मतदान हुआ।


यह मतदान प्रतिशत पिछले साल 2022 में हुए एमसीडी चुनावों की तुलना में काफी कम है, जब 50.47 प्रतिशत वोट पड़े थे। इनमें से 9 सीटें पहले से बीजेपी के पास थीं, इसलिए पार्टी को इस उपचुनाव में कुछ नुकसान उठाना पड़ा है। उपचुनाव में शामिल वार्डों में मुंडका, शालीमार बाग बी, अशोक विहार, चांदनी चौक, चांदनी महल, द्वारका बी, ढिचाऊ कलां, नारायणा, संगम विहार ए, दक्षिणपुरी, ग्रेटर कैलाश और विनोद नगर शामिल हैं।




उम्मीदवारों की संख्या

इस उपचुनाव में कुल 51 उम्मीदवार थे, जिनमें 26 महिलाएं और 25 पुरुष शामिल थे। यह चुनाव दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा था, क्योंकि यह विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत के बाद पहली बड़ी परीक्षा थी। फाइनल परिणामों में बीजेपी ने 12 में से 7 सीटों पर जीत हासिल की है।


बीजेपी का प्रदर्शन

हालांकि पार्टी को दो सीटों पर नुकसान हुआ है, जिन्हें पहले बीजेपी ने जीता था। फिर भी, बीजेपी का प्रदर्शन यह दर्शाता है कि निगम चुनावों में उसकी पकड़ अब भी मजबूत है। आम आदमी पार्टी ने 3 सीटें जीती हैं, जो उसके लिए सीमित राहत का संकेत है, क्योंकि पार्टी पहले निगम पर नियंत्रण रख चुकी है।


कांग्रेस की जीत

कांग्रेस ने संगम विहार ए सीट पर जीत दर्ज कर अपनी उपस्थिति को साबित किया है, हालांकि उसका कुल प्रदर्शन कमजोर माना जा रहा है। एक निर्दलीय उम्मीदवार की जीत से यह स्पष्ट होता है कि स्थानीय मुद्दे भी इस उपचुनाव में महत्वपूर्ण थे। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इन परिणामों से दिल्ली के मतदाताओं का मौजूदा रुझान स्पष्ट होता है और यह आगामी चुनावों पर भी प्रभाव डाल सकता है।