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दिल्ली-एनसीआर में सर्दी के साथ बढ़ा प्रदूषण, स्वास्थ्य पर पड़ सकता है गंभीर असर

दिल्ली-एनसीआर में सर्दी के मौसम के साथ प्रदूषण का स्तर चिंताजनक रूप से बढ़ गया है। हाल के एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के अनुसार, कई क्षेत्रों में AQI 300 से 450 के बीच है, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। चिकित्सकों ने लोगों को सलाह दी है कि वे बाहर जाने से बचें और मास्क पहनें। जानें इस स्थिति के कारण और दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में।
 

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की alarming स्थिति

नई दिल्ली। जैसे ही सर्दी का मौसम शुरू हुआ, दिल्ली और एनसीआर की हवा फिर से जहरीली हो गई है। शनिवार को जारी एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के अनुसार, दिल्ली के कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर हवा का AQI 300 से 430 के बीच दर्ज किया गया। नोएडा और गाजियाबाद में प्रदूषण का स्तर और भी चिंताजनक था। चिकित्सकों ने लोगों को सलाह दी है कि वे सुबह और देर शाम खुली हवा में जाने से बचें और बाहर जाते समय मास्क पहनें। विशेषज्ञों का मानना है कि वाहन प्रदूषण, निर्माण कार्य, औद्योगिक धुआं, कूड़ा जलाना और मौसम में नमी जैसे कारक हवा की गुणवत्ता को लगातार प्रभावित कर रहे हैं।


स्वास्थ्य पर पड़ सकता है गंभीर प्रभाव

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रदूषण का यह स्तर लंबे समय तक बना रहा, तो दमा, फेफड़ों और हृदय संबंधी बीमारियों के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। दिल्ली के आरके पुरम में AQI 372, रोहिणी में 412, विवेक विहार में 424, वज़ीरपुर में 427, सोनिया विहार में 369, श्री अरबिंदो मार्ग पर 305 और आनंद विहार में 420 रिकॉर्ड किया गया। शादिपुर का AQI 298 रहा, जो कि अपेक्षाकृत कम है, लेकिन फिर भी इसे 'बहुत खराब' श्रेणी में रखा गया है।


गाजियाबाद और नोएडा में स्थिति और भी खराब

कई स्थानों पर AQI 450 के पार पहुंच गया, जिसमें गाजियाबाद का लोनी क्षेत्र शामिल है। प्रदूषण के बढ़ने से लोगों को सांस लेने में कठिनाई और आंखों में जलन की समस्याएं बढ़ रही हैं। नोएडा की स्थिति और भी चिंताजनक है, जहां सेक्टर-125 में AQI 430, सेक्टर-1 में 396 और सेक्टर-62 में 343 दर्ज किया गया। ठंडी हवाओं के कारण प्रदूषक जमीन के करीब जमा हो रहे हैं, जिससे AQI में तेजी से वृद्धि हो रही है।


दिल्ली सरकार की पहल

दिल्ली सरकार और स्थानीय प्रशासन ने निर्माण कार्यों को सीमित करने, स्मॉग टावरों को सक्रिय रखने और सड़कों पर पानी का छिड़काव बढ़ाने के संकेत दिए हैं। हालांकि, विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि जब तक प्रदूषण के मूल कारणों को नियंत्रित नहीं किया जाता, तब तक हालात में सुधार लाना मुश्किल होगा।