×

दिल्ली की प्रदूषित हवा: पुरुषों पर अधिक प्रभाव, नई अध्ययन से खुलासा

नई दिल्ली में एक हालिया अध्ययन ने खुलासा किया है कि प्रदूषित हवा पुरुषों के लिए अधिक खतरनाक है। शोध में पाया गया है कि पुरुषों के फेफड़ों में जहरीले कणों का जमाव महिलाओं की तुलना में अधिक होता है। अध्ययन के अनुसार, ट्रैफिक में गाड़ी चलाते समय और पैदल चलते समय पुरुष अधिक प्रदूषित हवा का सामना करते हैं। यह अध्ययन दिल्ली की वायु गुणवत्ता के गंभीर खतरे को उजागर करता है। जानें इस अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव।
 

दिल्ली की हवा का खतरनाक प्रभाव

नई दिल्ली: देश की राजधानी की वायु गुणवत्ता न केवल चिंताजनक है, बल्कि यह पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए अधिक खतरनाक साबित हो रही है। नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी और नोएडा की एक पर्यावरण कंसल्टेंसी द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह पाया गया है कि ट्रैफिक में गाड़ी चलाते समय या पैदल चलते समय, दिल्ली के पुरुष महिलाएं की तुलना में अधिक जहरीली हवा का सामना कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने 2019 से 2023 तक पांच वर्षों में 39 एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों के आंकड़ों का विश्लेषण किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचे। इस अध्ययन का शीर्षक है ‘दिल्ली में सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचने वाले कणों का पांच साल का आकलन’, जो प्रदूषण के खतरों की गंभीर तस्वीर प्रस्तुत करता है।


वैज्ञानिकों ने इस अंतर के पीछे पुरुषों की शारीरिक संरचना और श्वसन प्रक्रिया को जिम्मेदार ठहराया है। अध्ययन के अनुसार, पुरुषों की सांस लेने की क्षमता और हवा का प्रवाह महिलाओं की तुलना में अधिक होता है, जिससे उनके फेफड़ों में जहरीले कणों का संचय अधिक होता है। आंकड़ों के अनुसार, जब पुरुष आराम से बैठे होते हैं, तो उनके फेफड़ों में पीएम 2.5 कण महिलाओं की तुलना में लगभग 1.4 गुना और पीएम 10 कण 1.34 गुना अधिक होते हैं। पैदल चलते समय भी, पुरुषों के फेफड़ों में दोनों प्रकार के कण महिलाओं की तुलना में लगभग 1.2 गुना अधिक पहुंचते हैं। शोधकर्ताओं ने एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य मॉडल का उपयोग कर यह पता लगाया है कि प्रदूषण वास्तव में फेफड़ों के किस हिस्से में और कितनी मात्रा में जमा हो रहा है।


दिल्लीवासियों के लिए यह एक चेतावनी है कि यहां के लोगों के फेफड़ों में बारीक कणों (पीएम 2.5) का जमाव भारतीय वायु गुणवत्ता मानकों से लगभग 10 गुना और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशानिर्देशों से लगभग 40 गुना अधिक है। अध्ययन में यह भी पाया गया है कि आराम से बैठे रहने की तुलना में पैदल चलते समय फेफड़ों में प्रदूषण के कण 2 से 3 गुना अधिक जमा होते हैं। इसका मतलब है कि सड़क पर चलने वाले लोग, स्ट्रीट वेंडर और श्रमिक वर्ग सबसे अधिक जोखिम में हैं। इसके अलावा, शाम के समय की हवा सुबह की तुलना में अधिक जहरीली पाई गई है। शाम के ट्रैफिक के दौरान फेफड़ों में पीएम 2.5 कणों का जमाव सुबह की तुलना में 39 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। अध्ययन में औद्योगिक क्षेत्रों को सबसे अधिक प्रदूषित और सेंट्रल दिल्ली के हरे-भरे इलाकों को तुलनात्मक रूप से कम जोखिम वाला बताया गया है।