दिल्ली के लाल किले में धमाके की जांच में नए खुलासे
दिल्ली में हुए धमाके की जांच
10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के निकट हुए भयंकर विस्फोट के संबंध में जांच एजेंसियों ने कुछ चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस धमाके में दो किलो से अधिक अमोनियम नाइट्रेट का उपयोग किया गया था।
धमाके का स्थान और प्रभाव
यह विस्फोट नेताजी सुभाष मार्ग के ट्रैफिक सिग्नल के समीप हुआ, जिससे कई वाहनों को नुकसान पहुंचा और भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र में जनहानि हुई। जांच टीमें अब सुरागों को जोड़कर इस साजिश का पूरा खुलासा करने की कोशिश कर रही हैं।
मुख्य संदिग्ध की पहचान
मुख्य संदिग्ध उमर नबी, जो कश्मीर का निवासी है और फरीदाबाद स्थित अल फला यूनिवर्सिटी से जुड़ा हुआ है, विस्फोटक बनाने में 'एक्सपर्ट' माना जाता है। जांच में यह भी सामने आया है कि संभवतः उसने ही इस धमाके में इस्तेमाल किया गया बम तैयार किया।
उमर नबी की योजना
सूत्रों के अनुसार, उमर नबी की प्रारंभिक योजना लाल किले की पार्किंग के पास विस्फोट करने की थी, लेकिन उसके सहयोगियों की गिरफ्तारी के बाद उसने स्थान बदल दिया। उसके दो साथी, मुमजमिल अहमद गनई और शाहीन सईद, भी अल फला यूनिवर्सिटी में डॉक्टर हैं।
विस्फोटक सामग्री की बरामदगी
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस मॉड्यूल से जुड़े सात व्यक्तियों को गिरफ्तार किया और लगभग 2,900 किलो विस्फोटक सामग्री बरामद की। यह बरामदगी इस बात का संकेत है कि दिल्ली में हुए धमाके की साजिश किसी बड़े नेटवर्क से जुड़ी हो सकती है।
बम बनाने की सामग्री का स्रोत
जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि उमर नबी ने विस्फोटक बनाने के लिए सामग्री कहां से प्राप्त की और इसे दिल्ली तक कैसे पहुंचाया। प्रारंभिक रिपोर्टों से यह भी संकेत मिलता है कि यह हमला पहले से सक्रिय आतंकी मॉड्यूल की एक बड़ी साजिश का हिस्सा था।
लाल किला: सुरक्षा के सवाल
लाल किला, जो दिल्ली का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, हमेशा भारी भीड़ से भरा रहता है। इस घटना ने ऐसे स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर सुरक्षा मानकों को और मजबूत करने की आवश्यकता है।