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दिल्ली ब्लास्ट: अल-फलाह यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक कोटा पर सुनवाई आज

दिल्ली में हुए एक भयानक ब्लास्ट के बाद, फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी की भूमिका की जांच की जा रही है। आज राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग में यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक कोटा पर सुनवाई होगी। आयोग ने यूनिवर्सिटी से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मांगे हैं, जिनमें ट्रस्ट डीड और भर्ती प्रक्रिया के साक्ष्य शामिल हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि यूनिवर्सिटी ने पिछले सात वर्षों में 415 करोड़ रुपये की कमाई की है। क्या आयोग यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा रद्द करेगा? जानें पूरी जानकारी इस लेख में।
 

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग में सुनवाई


दिल्ली ब्लास्ट की जांच में अल-फलाह यूनिवर्सिटी का संबंध
दिल्ली में हुए ब्लास्ट के मामले में फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी की भूमिका की जांच की जा रही है। इसी संदर्भ में आज राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग में यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक कोटा पर सुनवाई होगी। आयोग ने 24 नवंबर को यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया था।


नोटिस में यह पूछा गया है कि जब यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों की भूमिका की जांच चल रही है, जिसमें 15 लोगों की जान गई थी, तो उसका अल्पसंख्यक दर्जा क्यों न रद्द किया जाए। आयोग ने यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार और हरियाणा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को सुनवाई में उपस्थित होने का निर्देश दिया है। यूनिवर्सिटी की स्थापना 20 एकड़ में हुई थी और अब यह 78 एकड़ में फैली हुई है।


माइनॉरिटी कोटा का महत्व

माइनॉरिटी कोटा क्या है?
माइनॉरिटी कोटा वह आरक्षण है जो धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों को शिक्षा और रोजगार में लाभ पहुंचाने के लिए दिया जाता है। भारत में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन समुदायों को अल्पसंख्यक माना जाता है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी में मुस्लिम छात्रों को माइनॉरिटी कोटा दिया गया है।


आयोग द्वारा मांगे गए दस्तावेज

आवश्यक दस्तावेजों की मांग
आयोग ने यूनिवर्सिटी के ट्रस्ट, कर्मचारियों और प्रशासकों की नियुक्ति प्रक्रिया के साक्ष्य सहित अन्य दस्तावेज मांगे हैं। इसके अलावा, ट्रस्ट डीड के मूल दस्तावेज, प्रवेश और स्टाफ भर्ती से संबंधित आंकड़े, प्रशासकों की बैठकों का विवरण और पिछले तीन वर्षों के बैंक लेनदेन की जानकारी भी मांगी गई है। यदि यूनिवर्सिटी ने दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए, तो कड़ी कार्रवाई की संभावना है।


आर्थिक स्थिति का खुलासा

सात वर्षों में 415 करोड़ की कमाई
जांच में यह सामने आया है कि यूनिवर्सिटी ने पिछले सात वर्षों में 415 करोड़ रुपये की कमाई की है। यूनिवर्सिटी से जुड़ी 9 शेल कंपनियों का भी पता चला है। सभी लेनदेन एक ही पैन नंबर से हो रहे थे। ईडी और अन्य जांच एजेंसियों के अनुसार, ट्रस्ट मुख्य रूप से कॉलेज और यूनिवर्सिटी चलाता है।


छात्रों से प्राप्त फीस ही इसकी मुख्य आय का स्रोत है। हालांकि, कई वर्षों तक संस्थान बिना मान्यता के चल रहा था, जिससे एजेंसियां इसे धोखाधड़ी मान रही हैं।