दिल्ली में कार धमाके की जांच: तुर्की यात्रा से जुड़े आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश
दिल्ली में धमाके की जांच में नया मोड़
नई दिल्ली: लाल किला मेट्रो स्टेशन के निकट हुए कार बम विस्फोट की जांच ने सुरक्षा एजेंसियों को चौंका दिया है। प्रारंभिक जांच में यह पता चला है कि मुख्य संदिग्ध डॉ. उमर नबी और उसके दो साथी 2022 में तुर्की गए थे, जहां उन्होंने कई संदिग्ध व्यक्तियों से मुलाकात की थी।
तुर्की यात्रा से खुलासा
जांचकर्ताओं के अनुसार, डॉ. उमर नबी, जो विस्फोटक कार चला रहा था, ने मार्च 2022 में अपने दो सहयोगियों, डॉ. मुझफ्फर अहमद राथर और डॉ. मुजम्मिल शकील के साथ तुर्की की यात्रा की। यह तीनों वहां लगभग दो सप्ताह तक रहे और 14 संदिग्ध व्यक्तियों से मिले। इनमें से एक व्यक्ति सहारनपुर में गिरफ्तार आरोपी अदील का भाई बताया जा रहा है। यह मुलाकातें अब एक बड़े नेटवर्क की ओर इशारा कर रही हैं।
आतंकी गतिविधियों का इतिहास
सूत्रों के अनुसार, उमर और उसके साथियों की आतंकी गतिविधियों की शुरुआत 2021 के अंत में हुई थी। तुर्की यात्रा से पहले, इन तीनों ने एक नेटवर्क से जुड़ने की योजना बनाई थी। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उनका पाकिस्तान से कोई सीधा संबंध था या नहीं। लेकिन जांच एजेंसियां मानती हैं कि उन्हें विदेशों में किसी संगठन से सहायता मिल सकती है।
जम्मू-कश्मीर से दिल्ली तक फैला नेटवर्क
आरोपियों में से डॉ. मुझफ्फर अहमद राथर पुलवामा जिले के वुनपोरा गांव का निवासी है, जबकि डॉ. मुजम्मिल शकील कोइल, पुलवामा का निवासी है। जांच में यह भी सामने आया है कि मुजम्मिल कई वर्षों से फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में कार्यरत था। उसने वहां विस्फोटक और हथियारों का जखीरा जमा किया था, जिसमें 350 किलो से अधिक संदिग्ध विस्फोटक सामग्री, राइफलें, गोलियां और टाइमर शामिल हैं।
जांच और नई गिरफ्तारियों की संभावना
धमाके के बाद, दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में छापेमारी तेज कर दी गई है। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि यह नेटवर्क पेशेवर और शैक्षणिक पहचान के माध्यम से लंबे समय से सक्रिय था। जांचकर्ता यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि डॉक्टरों की यह टीम इतनी बड़ी साजिश को कैसे अंजाम देने में सफल रही।
विदेशी कनेक्शन की जांच
एनआईए और दिल्ली पुलिस की विशेष टीमें अब तुर्की में हुई मुलाकातों की जानकारी इकट्ठा कर रही हैं। यह भी जांच की जा रही है कि तीनों ने वहां किन संस्थाओं या व्यक्तियों से संपर्क किया था। अधिकारियों का कहना है कि जब तक इस मॉड्यूल के विदेशी लिंक का पूरा खुलासा नहीं हो जाता, तब तक जांच जारी रहेगी। एजेंसियों का ध्यान अब इन तीनों के डिजिटल फुटप्रिंट और बैंक लेनदेन पर है।