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दिल्ली में पुरानी गाड़ियों के खिलाफ अभियान: चार महीने की मोहलत का क्या मतलब?

दिल्ली में पुरानी गाड़ियों के खिलाफ चल रहे अभियान को लेकर चार महीने की मोहलत दी गई है, जिससे लोगों में असमंजस और विरोध की स्थिति उत्पन्न हो गई है। नागरिकों का कहना है कि यदि उनकी गाड़ियाँ सही स्थिति में हैं, तो उन्हें क्यों जब्त किया जा रहा है? इस लेख में जानें इस मुद्दे पर लोगों की चिंताएं और सरकार के कदमों का क्या प्रभाव पड़ेगा।
 

दिल्ली में पुरानी गाड़ियों के खिलाफ नया अभियान

दिल्ली में उन गाड़ियों को चार महीने की मोहलत दी गई है, जो उम्र की निर्धारित सीमा पूरी कर चुकी हैं। इस निर्णय को लेकर लोगों में भ्रम और विरोध की स्थिति बनी हुई है। नागरिकों का कहना है कि यदि उनकी 10 साल पुरानी डीजल गाड़ी या 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ी अच्छी स्थिति में है और प्रदूषण नहीं फैला रही है, तो उन्हें क्यों जब्त किया जा रहा है? यह एक उचित सवाल है।


व्यावसायिक गाड़ियों के लिए, जो 10 साल में पांच लाख किलोमीटर या उससे अधिक चल चुकी हैं और प्रदूषण फैला रही हैं, जब्त करना उचित है। लेकिन निजी गाड़ियों, जो 10 साल में एक लाख किलोमीटर भी नहीं चली हैं, को जब्त करने का क्या औचित्य है?


इस मुद्दे पर लोगों ने, खासकर भाजपा समर्थक मध्य वर्ग ने, विरोध किया। इसके बाद दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से इस अभियान को टालने का अनुरोध किया। सीएक्यूएम ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए अभियान को चार महीने के लिए स्थगित कर दिया है। अब सवाल यह है कि चार महीने में क्या बदलाव आएगा? लोग तब भी असंतोष व्यक्त करेंगे और यह सवाल उठाएंगे कि क्या सरकार कार कंपनियों के साथ मिली हुई है।


चार महीने बाद, पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल और डीजल नहीं देने और उन्हें जब्त करने का अभियान दिल्ली और एनसीआर में जारी रहेगा। इसका अर्थ है कि यह राहत नहीं, बल्कि एक नई मुसीबत है। जब दिल्ली में अभियान शुरू हुआ, तो लोग एनसीआर में जाकर पेट्रोल और डीजल भरवाने लगे थे। अब इसे भी रोक दिया जाएगा। इसका मतलब है कि हर हाल में गाड़ियों को जब्त किया जाएगा। लोगों के पास चार महीने का समय है, यदि वे दिल्ली और एनसीआर से बाहर अपनी गाड़ी बेच सकते हैं, तो उन्हें ऐसा करना चाहिए।