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दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति गंभीर, एक्यूआई 400 के पार

दिल्ली में सर्दियों के आगमन के साथ प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 400 के पार पहुंच गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, कई क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में है। विपक्षी दलों ने सरकार पर प्रदूषण नियंत्रण में ढिलाई बरतने का आरोप लगाया है। जानें एक्यूआई की गणना कैसे की जाती है और दिल्ली सरकार की एमसीडी को दी गई चेतावनी के बारे में।
 

दिल्ली सरकार के प्रयासों के बावजूद प्रदूषण में वृद्धि

दिल्ली में सर्दियों के आगमन के साथ प्रदूषण की समस्या भी बढ़ती जा रही है। हर दिन एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) खतरनाक स्तर पर पहुंच रहा है, जिससे नागरिकों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी के कई क्षेत्रों में एक्यूआई गंभीर श्रेणी में दर्ज किया गया है।


एक्यूआई के स्तर और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

रोहिणी, मुंडका और बवाना जैसे क्षेत्रों में एक्यूआई 400 से ऊपर पहुंच गया है, जो गंभीर श्रेणी में आता है। जैसे-जैसे वायु गुणवत्ता बिगड़ती जा रही है, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेता दिल्ली सरकार पर निशाना साध रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि सरकार प्रदूषण नियंत्रण में ढिलाई बरत रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री का प्रदूषण नियंत्रण का मोर्चा संभालना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम माना जा रहा है।


एक्यूआई की गणना कैसे की जाती है

एक्यूआई रीडिंग को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है: अच्छा (0-50), संतोषजनक (51-100), मध्यम प्रदूषित (101-200), खराब (201-300), बहुत खराब (301-400), और गंभीर (401-500)।


दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण

दिल्ली में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के अनुसार, वाहन से होने वाला प्रदूषण 18.76 प्रतिशत है, जबकि पराली जलाने से 8.29 प्रतिशत प्रदूषण हो रहा है। इस वर्ष 1,576 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं। सीपीसीबी का अनुमान है कि बुधवार तक हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में बनी रहेगी।


दिल्ली सरकार की एमसीडी को चेतावनी

दिल्ली सरकार की बैठक के बाद, एमसीडी आयुक्त ने जोनल उपायुक्तों के साथ आपात बैठक की और निर्देश जारी किए। हालांकि, सरकार इस पर भरोसा नहीं कर रही है और एमसीडी को स्पष्ट संदेश दिया गया है कि अब कामकाज की जिम्मेदारी और उसकी निगरानी सरकार के हाथ में रहेगी।