दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति: दिवाली के बाद बढ़ा वायु गुणवत्ता सूचकांक
दिल्ली में प्रदूषण की गंभीरता
दिल्ली में वायु प्रदूषण: दिवाली के बाद, दिल्ली एक बार फिर से जहरीली हवा की चपेट में आ गई है। राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 355 के स्तर पर पहुंच गया है, जो कि 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, यह वृद्धि त्योहार के दौरान पटाखों के उपयोग, मौसम में बदलाव और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं के कारण हुई है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि वर्तमान स्थिति बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन संबंधी बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रही है। पीएसआरआई इंस्टीट्यूट ऑफ पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. जी.सी. खिलनानी ने बताया कि प्रदूषण के कारण दिल के दौरे, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के मामलों में 22 से 25 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
सर्दी में प्रदूषण का प्रभाव
खांसी, आंखों में जलन और सांस लेने में कठिनाई की शिकायत बढ़ जाती है
अपोलो अस्पताल के श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. निखिल मोदी ने कहा कि सर्दी के मौसम में ठंडी हवा प्रदूषकों को जमीन के पास रोक देती है, जिससे हवा साफ नहीं हो पाती। इससे एलर्जी और फेफड़ों की समस्या वाले लोगों को खांसी, आंखों में जलन और सांस लेने में कठिनाई की शिकायत बढ़ जाती है। उन्होंने सलाह दी कि बच्चों और बुजुर्गों को फिलहाल घर के अंदर रहना चाहिए और बाहर निकलते समय मास्क पहनना चाहिए।
प्रदूषण का बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव
बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अस्थमा के मरीजों पर अधिक प्रभाव
सर गंगाराम अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. धीरन गुप्ता ने कहा कि बच्चे, गर्भवती महिलाएं और अस्थमा के मरीज सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। यहां तक कि स्वस्थ व्यक्ति भी लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहकर प्रदूषण-जनित अस्थमा जैसी बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं। वाहन प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है।
स्थानीय नागरिकों की प्रतिक्रिया
हर वर्ग के लोग होते हैं प्रभावित
स्थानीय नागरिकों ने भी प्रदूषण के प्रभाव को महसूस किया है। सुबह दौड़ने वाले आशीष रंजन ने कहा कि दौड़ते समय सांस लेना मुश्किल हो जाता है। वहीं एक अन्य निवासी ने कहा कि लोगों को स्वयं जिम्मेदारी दिखानी चाहिए और 'ग्रीन क्रैकर' नियमों का पालन करना चाहिए ताकि AQI स्तर को नियंत्रित रखा जा सके।
प्रदूषण और जीवन प्रत्याशा
प्रदूषण के कारण कम हो रही है दिल्ली के लोगों की उम्र
एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (AQLI) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली के लोगों की औसत आयु प्रदूषण के कारण 8.2 वर्ष कम हो रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि दिल्ली WHO के PM2.5 मानक (5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) को हासिल कर ले, तो यह नुकसान काफी हद तक कम किया जा सकता है। 2023 में दिल्ली का वार्षिक PM2.5 स्तर 88.4 µg/m³ रहा, जबकि राष्ट्रीय औसत 41 µg/m³ था। विश्व स्तर पर प्रदूषण के कारण औसतन लोगों की आयु में 1.9 वर्ष की कमी आ रही है।
दिल्ली की हवा की गुणवत्ता
'बहुत खराब' हुई दिल्ली की हवा
सीपीसीबी के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, सुबह 10 बजे तक दिल्ली का औसत AQI 359 था। बवाना (432), जहांगीरपुरी (405), आशोक विहार (408) और वज़ीरपुर (408) जैसे क्षेत्रों में प्रदूषण 'गंभीर श्रेणी' में दर्ज किया गया। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऐसे स्तर की हवा में लंबे समय तक रहना गंभीर श्वसन रोगों का कारण बन सकता है।