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दिल्ली में प्रदूषण संकट: CAQM ने कड़े कदम उठाए

दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने GRAP को संशोधित कर कड़े कदम उठाए हैं। नए नियमों का उद्देश्य प्रदूषण को गंभीर स्तर तक पहुंचने से पहले नियंत्रित करना है। जानें इस संकट से निपटने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं और नागरिकों की भूमिका क्या होगी।
 

दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण की गंभीर स्थिति


नई दिल्ली: दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर फिर से चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया है। हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में बनी हुई है, जिससे लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है। राजधानी के विभिन्न हिस्सों में धुंध, धूल और औद्योगिक उत्सर्जन के कारण हालात और भी खराब हो गए हैं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने शनिवार को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) को संशोधित किया और इससे जुड़े प्रतिबंधों को और सख्त कर दिया है।


GRAP: प्रदूषण नियंत्रण का आपातकालीन ढांचा

CAQM के अनुसार, GRAP पूरे एनसीआर के लिए एक आपातकालीन तंत्र के रूप में कार्य करता है। यह योजना दिल्ली के औसत दैनिक वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI), मौसम के पूर्वानुमान और प्रदूषण के व्यवहार का वैज्ञानिक मूल्यांकन करके सक्रिय होती है। इसके माध्यम से प्रदूषण के बढ़ने से पहले और बाद में सख्त प्रबंधन सुनिश्चित किया जाता है।


वैज्ञानिक अध्ययन और विशेषज्ञों की राय पर आधारित

GRAP को किसी एक संस्था द्वारा नहीं, बल्कि वर्षों के डेटा, पर्यावरणीय अध्ययनों, विशेषज्ञों की सलाह और हितधारकों के सुझावों के आधार पर विकसित किया गया है। इस योजना में बदलाव भी वैज्ञानिक मूल्यांकन और प्रदूषण के रुझानों की निरंतर निगरानी पर निर्भर करते हैं।


20 नवंबर को महत्वपूर्ण बैठक में लिए गए निर्णय

20 नवंबर 2025 को CAQM की उप-समिति ने सभी संबंधित एजेंसियों के साथ विस्तृत चर्चा की। इस बैठक में वायु गुणवत्ता में गिरावट को तुरंत रोकने के उपायों पर विचार किया गया। GRAP की मौजूदा अनुसूची को संशोधित करने पर सहमति बनी ताकि प्रदूषण नियंत्रण के लिए त्वरित और कठोर कदम उठाए जा सकें।


प्रदूषण की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम

नए बदलावों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वायु गुणवत्ता के बिगड़ने पर ही प्रतिबंध न लगाए जाएं, बल्कि उसके बिगड़ने के संकेत मिलते ही सख्त कार्रवाई की जाए। इससे प्रदूषण को 'गंभीर' स्तर तक पहुंचने से पहले ही नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।


इस दिशा में केवल सरकारी प्रयास ही पर्याप्त नहीं होंगे, बल्कि आम नागरिकों की भागीदारी भी आवश्यक है।