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दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक खराब श्रेणी के करीब, दीवाली से पहले बढ़ा प्रदूषण

दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 'मध्यम' श्रेणी में है, जो दीवाली से पहले प्रदूषण की बढ़ती चिंता को दर्शाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, AQI 189 दर्ज किया गया है, जो 'खराब' श्रेणी से केवल 11 अंक दूर है। आगामी दिनों में AQI के 'खराब' होने की संभावना है, जिसका मुख्य कारण पराली जलाना और त्योहारी सीजन में पटाखों का उपयोग है। सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों की अनुमति दी है, लेकिन पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने पारंपरिक पटाखों के जलाने पर चिंता जताई है।
 

दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक


दिल्ली AQI: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, सोमवार को दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 189 दर्ज किया गया, जो 'मध्यम' श्रेणी में आता है। यह स्तर अक्टूबर में पहली बार 'खराब' श्रेणी से केवल 11 अंक दूर है। इससे पहले, 11 जून को दिल्ली का AQI 'खराब' था। रविवार को AQI 167 था, जो 10-15 किमी प्रति घंटे की हवाओं के कारण 199 से सुधरा।


प्रदूषण का पूर्वानुमान

प्रदूषण का पूर्वानुमान: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अर्ली वार्निंग सिस्टम (EWS) के अनुसार, 13-14 अक्टूबर को दिल्ली का AQI 'मध्यम' और 15 अक्टूबर को 'खराब' रहने की संभावना है। इसके बाद अगले छह दिनों तक AQI 'खराब' रह सकता है। CPCB के अनुसार, AQI 0-50 'अच्छा', 51-100 'संतोषजनक', 101-200 'मध्यम', 201-300 'खराब', 301-400 'बहुत खराब' और 401-500 'गंभीर' माना जाता है।


प्रदूषण के कारण

प्रदूषण के कारण: अक्टूबर में दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी, तापमान में कमी और उत्तर-पश्चिम भारत में पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता है। त्योहारी सीजन में पटाखों का उपयोग और हवा की गति में कमी स्थिति को और बिगाड़ती है।


सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने दी ग्रीन पटाखों की अनुमति: दिल्ली सरकार ने ग्रीन पटाखों की अनुमति मांगी है और पारंपरिक पटाखों की बिक्री रोकने के लिए उपायों की घोषणा की है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह कहा कि दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध 'न तो व्यावहारिक है और न ही आदर्श', क्योंकि नियमों का उल्लंघन होता है। पर्यावरण कार्यकर्ता भावरीन कंधारी ने चिंता जताई कि ग्रीन पटाखों की अनुमति के बावजूद लोग पारंपरिक पटाखे जलाते हैं, और QR कोड जैसे उपाय अप्रभावी रहे हैं।