दिल्ली लाल किला विस्फोट मामले में बड़ी कार्रवाई: पठानकोट से सर्जन और हरियाणा से डॉक्टर हिरासत में
दिल्ली विस्फोट की जांच में तेजी
श्रीनगर/पठानकोट: दिल्ली के लाल किले में हुए विस्फोट के मामले में केंद्रीय एजेंसियों ने एक बड़े आतंकवादी नेटवर्क की जांच को तेज कर दिया है। इस सिलसिले में पठानकोट के एक निजी मेडिकल कॉलेज से 45 वर्षीय कश्मीरी सर्जन और हरियाणा की एक महिला डॉक्टर को हिरासत में लिया गया है।
पठानकोट से सर्जन की गिरफ्तारी
पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई
पुलिस के अनुसार, सबसे पहले पठानकोट के मामून छावनी के पास स्थित एक निजी मेडिकल कॉलेज से सर्जन डॉ. रईस अहमद भट्ट को हिरासत में लिया गया। डॉ. रईस जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग का निवासी है और पिछले दो वर्षों से इस कॉलेज में कार्यरत था। एजेंसियों को संदेह है कि वह दिल्ली विस्फोट में शामिल एक आतंकवादी समूह के संपर्क में था।
अल फलाह विश्वविद्यालय की भूमिका
जांच में महत्वपूर्ण कड़ी
केंद्रीय एजेंसियों की जांच में फरीदाबाद स्थित 'अल फलाह विश्वविद्यालय' एक महत्वपूर्ण कड़ी बनकर उभरा है। डॉ. रईस अहमद भट्ट पहले इसी विश्वविद्यालय में कार्यरत था। इस मामले में कई अन्य संदिग्ध भी इसी संस्थान से जुड़े पाए गए हैं। इससे पहले हरियाणा के नूंह जिले से भी दो डॉक्टरों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था, जिनमें से एक इसी विश्वविद्यालय का पूर्व छात्र है।
डॉ. प्रियंका की गिरफ्तारी
डॉक्टर प्रियंका का संबंध
जांच के दौरान, दिल्ली विस्फोट के एक आरोपी डॉक्टर उमर नबी के फोन को ट्रेस करने पर एनआईए की टीम ने हरियाणा की डॉक्टर प्रियंका शर्मा को हिरासत में लिया है। डॉ. प्रियंका रोहतक जिले की निवासी हैं और वर्तमान में अनंतनाग जीएमसी में कार्यरत हैं। फोन ट्रेसिंग से पता चला है कि वह आरोपी डॉ. उमर नबी के संपर्क में थीं। एनआईए ने प्रियंका का मोबाइल और सिम कार्ड जब्त कर लिया है और आगे की फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है।
आत्मदाह का प्रयास
हिरासत से रिहा व्यक्ति की घटना
जैश टेरर मॉड्यूल मामले में कुलगाम के काजीगुंड निवासी 50 वर्षीय बिलाल अहमद वानी और उसके दो बेटों को पुलिस ने हिरासत में लिया था। आज बिलाल ने रिहा होने के बाद आत्मदाह का प्रयास किया। उन्हें गंभीर हालत में जीएमसी अनंतनाग ले जाया गया, जहाँ से उन्हें श्रीनगर के एसएमएचएस अस्पताल में रेफर किया गया।