दिल्ली सरकार ने पुराने वाहनों पर बैन पर उठाए सवाल
दिल्ली में पुराने वाहनों पर बैन का मुद्दा
दिल्ली वाहन प्रतिबंध: दिल्ली की सड़कों से पुराने वाहनों को हटाने के लिए लगाए गए प्रतिबंध पर अब दिल्ली सरकार ने सवाल उठाए हैं। सरकार का मानना है कि केवल गाड़ी की उम्र के आधार पर रोक लगाना उचित नहीं है, असली मापदंड तो प्रदूषण होना चाहिए। 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों पर पूर्ण प्रतिबंध को लेकर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 2018 में दिए गए उस आदेश को वापस लेने की मांग की है, जिसमें नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के फैसले को सही ठहराया गया था। यह मामला अब 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच में सुना जाएगा। सरकार चाहती है कि गाड़ियों की जांच उम्र के बजाय वैज्ञानिक तरीके से उनके उत्सर्जन के आधार पर की जाए।
गाड़ियों की योग्यता का निर्धारण
उम्र से नहीं, धुएं से तय हो गाड़ी की योग्यता
दिल्ली सरकार का स्पष्ट कहना है कि गाड़ियों की उम्र निर्धारित करना कोई समाधान नहीं है। सरकार चाहती है कि हर गाड़ी की फिटनेस वैज्ञानिक तरीके से जांची जाए। यदि कोई 15 साल पुरानी गाड़ी भी कम प्रदूषण कर रही है, तो उसे चलने की अनुमति मिलनी चाहिए। इसके लिए सरकार ने केंद्र और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से विस्तृत अध्ययन की मांग की है।
NGT का आदेश
NGT ने क्या कहा था अपने आदेश में?
NGT ने 2014 में आदेश दिया था कि 15 साल से अधिक पुरानी कोई भी गाड़ी - चाहे पेट्रोल हो या डीजल - सड़क पर नहीं चल सकेगी। यहां तक कि ऐसे वाहन अगर किसी सार्वजनिक स्थान पर खड़े मिले, तो उन्हें जब्त कर लिया जाएगा। यह आदेश दोपहिया से लेकर भारी वाहनों तक सभी पर लागू होता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस आदेश को 2018 में सही ठहराया था।
सरकार का तर्क
दिल्ली सरकार बोली- न्यायसंगत नहीं है यह तरीका
सरकार का तर्क है कि उम्र के आधार पर पाबंदी सभी गाड़ियों पर समान रूप से लागू करना न तो तर्कसंगत है और न ही प्रभावी। कई गाड़ियां मेंटेनेंस के कारण कम प्रदूषण करती हैं, जबकि नई गाड़ियां भी खराब रख-रखाव के चलते अधिक धुआं छोड़ती हैं। ऐसे में एक व्यवहारिक और वैज्ञानिक नीति बननी चाहिए जो पर्यावरण की रक्षा करे और जनता की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखे।