धराली गांव में आई भीषण आपदा: बाढ़ और मलबे से प्रभावित
धराली गांव में आपदा का मंजर
धराली गांव, जो हिमालय की तलहटी में स्थित है, मंगलवार की सुबह एक गंभीर प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहा था। बादलों के फटने के कारण क्षेत्र में बाढ़ और मलबा फैल गया, जिससे गांव का जीवन पूरी तरह से प्रभावित हो गया। यह शांत और प्राकृतिक सौंदर्य से भरा गांव अब राहत और बचाव कार्यों का केंद्र बन गया है।धराली का स्थान और महत्व
धराली गांव उत्तरकाशी जिले की हर्षिल घाटी में समुद्र तल से लगभग आठ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह गंगोत्री धाम की ओर जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण विश्राम स्थल रहा है। भागीरथी नदी के किनारे बसा यह क्षेत्र अपने सेब के बागों और राजमा की खेती के लिए भी प्रसिद्ध है।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर
धराली की जड़ें न केवल भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है। यह गांव गढ़वाली परंपराओं का पालन करता है और गंगोत्री यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, यह क्षेत्र कई पीढ़ियों से पहाड़ी जीवनशैली और श्रद्धा का केंद्र रहा है।
कल्प केदार मंदिर का नुकसान
धराली में स्थित कई मंदिरों में से एक, कल्प केदार मंदिर, इस प्राकृतिक आपदा में लगभग पूरी तरह से नष्ट हो गया। इस मंदिर की संरचना की तुलना केदारनाथ मंदिर से की जाती थी। कहा जाता है कि यह प्राचीन मंदिर कई वर्षों तक मलबे में दबा रहा और 1945 में इसका शीर्ष पहली बार दिखाई दिया था। बाद में इसे पूरी तरह से खुदाई कर बाहर निकाला गया।
जनसंख्या और धार्मिक संरचना
धराली की जनसंख्या बहुत अधिक नहीं है। 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां लगभग 600 लोग निवास करते हैं, जिनमें पुरुषों की संख्या महिलाओं से थोड़ी अधिक है। यह क्षेत्र मुख्य रूप से हिंदू समुदाय का है, और जिले की कुल जनसंख्या का लगभग 98 प्रतिशत हिंदू धर्म को मानता है। मुस्लिम आबादी यहां नगण्य है।