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नवरात्रि गरबा में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर विवाद

नवरात्रि के आगमन पर, विश्व हिंदू परिषद ने गरबा आयोजनों में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने का आदेश दिया है। इस दिशा-निर्देश में कहा गया है कि केवल हिंदुओं को ही इन आयोजनों में शामिल होने की अनुमति होगी। इसके लिए तिलक लगाना और पूजा करना अनिवार्य होगा। विपक्ष ने इस आदेश को समाज में विभाजन की कोशिश बताया है। जानें इस विवाद के सभी पहलुओं के बारे में।
 

गरबा आयोजनों के लिए नए दिशा-निर्देश

मुंबई। नवरात्रि के आगमन से पहले, गरबा आयोजनों में गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने का आदेश जारी किया गया है। महाराष्ट्र में विश्व हिंदू परिषद ने नवरात्रि के दौरान गरबा कार्यक्रमों के लिए एक नई नीति प्रस्तुत की है। इस नीति के अनुसार, राज्य में गरबा आयोजनों में केवल हिंदुओं को ही शामिल होने की अनुमति होगी। आयोजकों को एंट्री गेट पर आधार कार्ड की जांच करने की सलाह दी गई है।


विशेष शर्तें और धार्मिक महत्व

विश्व हिंदू परिषद ने स्पष्ट किया है कि गरबा आयोजनों में गैर हिंदुओं को भाग लेने की अनुमति नहीं है। इसके लिए, लोगों को प्रवेश से पहले तिलक लगाना, हाथों पर रक्षा सूत्र बांधना और किसी हिंदू देवता की पूजा करना अनिवार्य होगा। विहिप ने आयोजकों से कहा है कि नवरात्रि केवल आनंद का पर्व नहीं है, बल्कि यह एक धार्मिक उत्सव है जिसमें भक्त देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। इसलिए, गैर हिंदुओं को गरबा और डांडिया कार्यक्रमों में शामिल नहीं होना चाहिए।


यह ध्यान देने योग्य है कि हर साल नवरात्रि के दौरान महाराष्ट्र और गुजरात में गरबा और डांडिया आयोजनों को लेकर ऐसे विवाद उठते हैं।


विपक्ष की प्रतिक्रिया

विश्व हिंदू परिषद ने कहा है कि गरबा केवल एक नृत्य नहीं है, बल्कि यह देवी को प्रसन्न करने की एक पूजा विधि है। इसलिए, इसमें भाग लेने की अनुमति केवल उन्हीं लोगों को दी जानी चाहिए जो इन धार्मिक अनुष्ठानों में आस्था रखते हैं। वहीं, विपक्ष ने विहिप और संघ पर आरोप लगाया है कि वे ऐसे फरमान जारी करके समाज में विभाजन की कोशिश कर रहे हैं।