नाले में मिली मासूम बच्ची की कहानी: समाज में सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता
मासूम बच्ची की जान बचाने की कहानी
महराजगंज के नौतनवा कस्बे में भुंडी बाईपास के पास एक नाले से एक छोटी बच्ची के रोने की आवाज सुनकर आसपास के दुकानदारों में हड़कंप मच गया। उन्होंने तुरंत नाले में झांककर देखा, जहां कीचड़ में सनी एक पांच महीने की बच्ची मिली। एक दुकानदार ने तत्परता दिखाते हुए उसे बाहर निकाला, साफ किया और पुलिस को सूचित किया।
पुलिस को सूचना मिलते ही थानाध्यक्ष पुरुषोत्तम राव और चौकी प्रभारी छोटेलाल मौके पर पहुंचे। उन्होंने बच्ची के लिए तुरंत कपड़े और दूध मंगवाया और उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रतनपुर ले जाकर चिकित्सकीय जांच कराई। डॉक्टरों ने बच्ची को पूरी तरह स्वस्थ बताया।
पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बच्ची के परिवार का पता लगाया। बच्ची के पिता मोतीलाल, जो मधुबन नगर के निवासी हैं, ने बताया कि बच्ची का नाम गुड़िया है और उसकी मां सुनीता देवी मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं। उन्होंने गलती से बच्ची को नाले में छोड़ दिया था। स्थानीय लोगों ने बताया कि बच्ची के चार बड़े भाई कबाड़ बीनने का काम करते हैं और नशे के आदी हैं।
पुलिस ने बच्ची को उसके पिता मोतीलाल को सौंपते हुए सख्त चेतावनी दी कि उसकी देखभाल में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही, सुनीता देवी के मानसिक उपचार के लिए परिवार को निर्देशित किया गया।
घटना की गंभीरता को देखते हुए चाइल्डलाइन के केस वर्कर पिंटू कुमार भी मौके पर पहुंचे और उचित रिपोर्ट तैयार की। क्षेत्राधिकारी जयप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि बच्ची को मेडिकल परीक्षण के बाद चाइल्डलाइन टीम की उपस्थिति में परिजनों को सौंप दिया गया।
यह दिल दहला देने वाली घटना पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है, जिसने समाज को बच्चियों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की आवश्यकता का एहसास कराया है।