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नेपाल में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू, रबि लामिछाने की रिहाई

नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने प्रदर्शनकारियों को बातचीत के लिए बुलाया है, जबकि रबि लामिछाने को जेल से रिहा किया गया है। उन्होंने आंदोलन को अनुशासन के साथ आगे बढ़ाने की अपील की है। जानें इस राजनीतिक हलचल के बारे में और क्या हो रहा है नेपाल में।
 

नेपाल में राजनीतिक हलचल

काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद देश में नई सरकार के गठन की चर्चा तेज हो गई है। पहले यह जानकारी मिली थी कि राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन बाद में स्पष्ट हुआ कि उन्होंने ऐसा नहीं किया। राष्ट्रपति ने प्रदर्शनकारियों को अगले सप्ताह बातचीत के लिए आमंत्रित किया है, लेकिन अंतरिम सरकार के गठन पर उनसे कोई चर्चा नहीं हो रही है। प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि वे सेना से बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन यह बातचीत तभी संभव होगी जब संसद भंग होगी।


अंतरिम सरकार के गठन की दिशा में कदम

नेपाल में अंतरिम सरकार के गठन के लिए राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के नेता रबि लामिछाने और काठमांडू के मेयर बालेन शाह के बीच बातचीत शुरू हो चुकी है। बालेन शाह ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल से बातचीत करने से इनकार कर दिया है। उल्लेखनीय है कि रबि लामिछाने, जो सांसद हैं, को हाल ही में ललितपुर की नक्खू जेल से रिहा किया गया। उन्हें धोखाधड़ी के मामले में 18 अक्टूबर 2024 को गिरफ्तार किया गया था। जेल प्रशासन ने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर पाने की बात कही, जिसके बाद उनकी पत्नी निकिता पौडेल ने व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदारी लेते हुए उन्हें रिहा कराया।


लामिछाने की अपील और जेल से रिहाई

रबि लामिछाने ने जेल से रिहाई के बाद प्रदर्शनकारियों से अनुशासन के साथ आंदोलन को आगे बढ़ाने की अपील की है। उन्होंने आंदोलन के दौरान हुई मौतों पर गहरा दुख व्यक्त किया और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। लामिछाने ने लोगों से राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा करने और इसे नुकसान न पहुंचाने की अपील की। इसके साथ ही, उन्होंने भ्रष्ट नेताओं द्वारा लूटी गई संपत्ति का राष्ट्रीयकरण कर कानूनी जांच की मांग की। रबि लामिछाने की रिहाई के बाद ललितपुर के नक्खू जेल से सभी कैदियों को रिहा कर दिया गया, जहां लगभग डेढ़ हजार कैदी बंद थे।