पंजाब के राज्यपाल ने मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में भारतीय सैन्य बलों की प्रशंसा की
राज्यपाल का संबोधन
चंडीगढ़ में आयोजित 9वें मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान हमारे सैन्य बलों की क्षमता और प्रदर्शन ने न केवल हमारे नागरिकों को बल्कि पूरी दुनिया को भी चकित कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी दुश्मन एक शक्तिशाली राष्ट्र का सामना करने की हिम्मत नहीं करता, बल्कि हमेशा कमजोर को ही निशाना बनाता है। राज्यपाल ने बताया कि अब दुनिया भारत की रक्षा क्षमताओं को पहचानती और सम्मान करती है। उन्होंने भारत में रक्षा प्रणालियों के बढ़ते स्वदेशीकरण और उनकी निर्यात क्षमता पर भी प्रकाश डाला।
कटारिया ने पंजाब के सैन्य बलों के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि विभिन्न युद्धों में पंजाब के वीरों द्वारा प्रदर्शित साहस पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने यह भी कहा कि सही साहित्य का निर्माण राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण है और हमारे युद्ध इतिहास को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना एक सशक्त भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
राज्यपाल ने 2047 तक भारत के महाशक्ति बनने के सपने का आधार युवा शक्ति को बताया और कहा कि हमें अपने युवाओं को राष्ट्र सेवा में अपने सैनिकों के बलिदानों का महत्व समझाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे रक्षा बल हमें एकजुट करते हैं और पूरा देश हमेशा हमारे सैनिकों का ऋणी रहेगा।
महाभारत में योद्धा की महत्ता
महाभारत में योद्धा के प्रति कहा गया है कि 'योद्धा अनिवार्य स्थिति हो जाने पर युद्ध करें, क्योंकि उत्तम कार्य के लिए युद्ध में प्राण विसर्जन करना वीर योद्धा के लिए धर्म की प्राप्ति कराने वाला है।' यह दर्शाता है कि युद्ध में प्राणों का बलिदान करना कितना महत्वपूर्ण है।
वेदों में भी कहा गया है कि अपने राष्ट्र के लिए बलिदान होना गौरव की बात है। हमें अपनी व्यक्तिगत और राष्ट्रीय स्वतंत्रता की रक्षा के लिए प्रयासरत रहना चाहिए।
साहित्य का महत्व
राज्यपाल ने कहा कि गुलामी के दौर में हम अपने गौरवमयी अतीत से कट गए हैं और भक्ति और शक्ति के संतुलन को बनाए रखने में असफल रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का 2047 में महाशक्ति बनने का सपना तभी साकार होगा जब युवा पीढ़ी सक्रिय होगी।
मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने आयोजकों को बधाई दी और आग्रह किया कि ऐसे आयोजन राष्ट्रीय स्तर पर भी होने चाहिए।
समापन
-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक