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पंजाब में गर्मी का प्रकोप बढ़ने वाला है, जानें मौसम का हाल

पंजाब में मौसम का हाल तेजी से बदल रहा है। पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव समाप्त होने के बाद, गर्मी का प्रकोप फिर से बढ़ने की संभावना है। मौसम विभाग ने बताया है कि आने वाले दिनों में तापमान में 5 डिग्री तक की वृद्धि हो सकती है। इस बीच, मानसून के समय पर आने की उम्मीद है, जिससे किसानों को फसलों के लिए सामान्य बारिश की उम्मीद है। जानें और क्या-क्या बदलाव आ रहे हैं और इसका प्रभाव क्या होगा।
 

पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव समाप्त


पंजाब मौसम अपडेट (चंडीगढ़): हाल ही में राज्य में हुई बारिश और आंधी का दौर अब समाप्त हो चुका है। मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव खत्म हो गया है, जिससे आसमान साफ रहेगा और गर्मी का प्रकोप फिर से बढ़ेगा। विभाग ने बताया है कि आने वाले दिनों में तापमान में 5 डिग्री तक की वृद्धि हो सकती है। मानसून के इस महीने के अंत तक राज्य में पहुंचने की उम्मीद है, जिससे गर्मी से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।


तापमान में वृद्धि

एक दिन में 1.5 डिग्री की वृद्धि


पिछले 24 घंटों में अधिकतम तापमान में औसतन 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। फिर भी, यह सामान्य से 3.3 डिग्री सेल्सियस कम है। मौसम विज्ञान केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, लुधियाना जिले के समराला में सबसे अधिक तापमान 37.8 डिग्री दर्ज किया गया। अमृतसर, पटियाला और बठिंडा जैसे शहरों में तापमान 36 से 37 डिग्री के बीच रहा। बठिंडा में अधिकतम तापमान 36.8 डिग्री था, जो सामान्य से 3 डिग्री कम था। रोपड़ में तापमान 35.3 डिग्री रहा, जबकि गुरदासपुर और मोगा में यह 36 डिग्री के आसपास रहा।


तापमान में और वृद्धि की संभावना

तापमान में 3 से 5 डिग्री की वृद्धि


मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान में हल्की वृद्धि हुई है, लेकिन मानसून पूर्व की परिस्थितियों के कारण यह सामान्य से नीचे बना हुआ है। यदि यही स्थिति बनी रही, तो मानसून समय पर या थोड़ी जल्दी आ सकता है।


धान की फसल के लिए आवश्यक बारिश

धान के लिए सामान्य बारिश आवश्यक


मौसम विभाग के अनुसार, इस वर्ष देश में मानसून की एंट्री समय से लगभग एक सप्ताह पहले हुई है। यदि मौसम की गतिविधियां सामान्य रहीं, तो सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। इससे धान के सीजन में पंजाब के किसानों को भूमिगत जल पर कम निर्भर रहना पड़ेगा। सामान्य बारिश से फसलों की पैदावार में वृद्धि होगी और भूमिगत जल का स्तर भी बढ़ेगा, जो सभी के लिए फायदेमंद रहेगा।