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पंजाब में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में उत्कृष्टता: 2025 के लक्ष्य की ओर बढ़ते कदम

पंजाब ने 2025 के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में उल्लेखनीय प्रगति की है। बठिंडा नगर निगम ने स्वच्छ शहर का पुरस्कार जीता है, और राज्य ने पुराने कचरे के निपटारे में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. रवजोत सिंह ने बताया कि 131 यू.एल.बीज़ में पुराने कचरे का प्रबंधन किया गया है। इसके अलावा, स्मार्ट सिटी परियोजनाओं और इलेक्ट्रिक ऑटो रिक्शों के माध्यम से वायु प्रदूषण को कम करने के प्रयास भी चल रहे हैं। जानें पंजाब की इस सफलता की कहानी में और क्या है।
 

पंजाब का ठोस अपशिष्ट प्रबंधन


चंडीगढ़: पंजाब ने 2025 में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। भारत सरकार के आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित स्वच्छ सर्वेक्षण में बठिंडा नगर निगम को स्वच्छ शहर का पुरस्कार मिला है। इसके अलावा, 25 यू.एल.बीज़ को कूड़ा मुक्त स्टार-1, 1 यू.एल.बी को कूड़ा मुक्त स्टार-3, 46 यू.एल.बीज़ को वाटर+ के रूप में, 53 यू.एल.बीज़ को ओडीएफ++ के रूप में, 43 यू.एल.बीज़ को ओडीएफ+ के रूप में और 22 यू.एल.बीज़ को ओडीएफ के रूप में मान्यता दी गई है।


पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. रवजोत सिंह ने मुख्यमंत्री सरदार भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में स्थानीय सरकार विभाग द्वारा की गई पहलों का विवरण साझा किया। उन्होंने बताया कि राज्य ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के तहत 131 यू.एल.बीज़ में पुराने कचरे का निपटारा किया है। इसमें से 84.09 लाख मीट्रिक टन पुराने कचरे में से 40.78 लाख मीट्रिक टन का निपटारा पहले ही किया जा चुका है, जबकि शेष 43.31 लाख मीट्रिक टन ठोस अपशिष्ट (35 यू.एल.बीज़) का निपटारा अप्रैल 2027 तक करने की योजना बनाई गई है।


डॉ. रवजोत सिंह ने कहा कि 2025 में ताजा ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया गया है। यू.एल.बीज़ द्वारा घर-घर से कचरा संग्रहण, स्रोत पर पृथक्करण और प्रोसेसिंग में सुधार किया गया है। उन्होंने बताया कि कुल 4008 टीपीडी ठोस अपशिष्ट में से 3243 टीपीडी (81 प्रतिशत) गीले कचरे को खाद और बायो-मीथेनाइजेशन के माध्यम से प्रोसेस किया जा रहा है। सूखे कचरे को चैनलाइजेशन द्वारा पुनर्चक्रित किया जा रहा है। कचरा संग्रहण एवं परिवहन के लिए 9812 ट्राइसाइकिल और 3162 यांत्रिक वाहन तैनात किए गए हैं। इसके अलावा, 8436 कंपोस्ट पिट और 276 मटीरियल रिकवरी फैसिलिटीज़ स्थापित की गई हैं।


कैबिनेट मंत्री ने बताया कि स्मार्ट सिटीज़ मिशन के तहत लुधियाना, अमृतसर, जालंधर और सुल्तानपुर लोधी में विभिन्न परियोजनाएं प्रगति पर हैं। लुधियाना स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत 769.18 करोड़ रुपये के 71 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं, जबकि 138.05 करोड़ रुपये के 08 प्रोजेक्ट विकासाधीन हैं। अमृतसर स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत 580 करोड़ रुपये के 19 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं और 245 करोड़ रुपये के 10 प्रोजेक्ट प्रगति पर हैं। इसी तरह, जालंधर और सुल्तानपुर लोधी में भी कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं।


डॉ. रवजोत सिंह ने बताया कि अमृतसर में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ऑटो-रिक्शा पुनर्जीवन (RAAHI) योजना के तहत 1200 पुराने डीज़ल ऑटो रिक्शों को नए इलेक्ट्रिक ऑटो से बदला गया है। इसके अलावा, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए 90 प्रतिशत सब्सिडी पर 200 पिंक ई-ऑटो भी प्रदान किए गए हैं। राज्य के बड़े शहरों में कुशल सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था के लिए 447 ई-बसें खरीदी जा रही हैं।


डॉ. रवजोत सिंह ने कहा कि स्थानीय सरकार विभाग द्वारा सेवाओं की डोर-स्टेप डिलीवरी सफलतापूर्वक शुरू की गई है, जिससे नागरिकों की सुविधा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। प्रमुख नगर निगम सेवाओं को सरकारी कार्यालयों में गए बिना सुलभ बनाया गया है।


स्थानीय निकाय मंत्री ने आगे बताया कि 16 अमृत कस्बों और सुल्तानपुर लोधी के लिए जल आपूर्ति एवं सीवरेज नेटवर्क का जीआईएस-आधारित डिजिटलीकरण कार्य पूरा कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि 'पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता (SASCI) 2024-25' योजना के अंतर्गत 32 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही 103 यू.एल.बीज़ के लिए सीवरेज मैपिंग और 105 यू.एल.बीज़ के लिए जल आपूर्ति मैपिंग को अंतिम रूप दिया गया है।