पंजाब में बाढ़ का कहर: किसानों की मेहनत बर्बाद, प्रशासन की राहत प्रयास जारी
पंजाब में बाढ़ से मची तबाही
पंजाब न्यूज: अहली सुल्तानपुर में बांध के टूटने से गांव में हड़कंप मच गया। खेतों में खड़ी धान की फसल पूरी तरह से जलमग्न हो गई है। किसानों की आंखों में आंसू हैं और घरों में शोक का माहौल है। लोग एक-दूसरे से कहते सुनाई दे रहे हैं, "हाय, सब कुछ बर्बाद हो गया।" इस दिल दहला देने वाले दृश्य ने पूरे क्षेत्र को सदमे में डाल दिया है। भारी बारिश के चलते पंजाब के प्रमुख बांधों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। भाखड़ा, पौंग और रणजीत सागर डैम से प्रतिदिन हजारों क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे सतलुज, ब्यास और रावी नदियां उफान पर हैं। नदियों के किनारे बसे गांवों में पानी भरने लगा है। प्रशासन सतर्क है, लेकिन हालात नियंत्रण में नहीं आ पा रहे।
आठ जिलों में बाढ़ का प्रभाव
पंजाब के आठ जिलों में बाढ़ ने सबसे अधिक तबाही मचाई है। पठानकोट, कपूरथला, मोगा, तरनतारन, फाजिल्का, फिरोजपुर, अमृतसर और होशियारपुर में स्थिति गंभीर हो चुकी है। गांवों में पानी भर गया है, और लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में हैं। मवेशी और अनाज बह गए हैं, और गांव की गलियों में केवल पानी ही दिखाई दे रहा है।
किसानों की मेहनत पर पानी
धान के खेतों में भरे पानी ने किसानों की साल भर की मेहनत को बर्बाद कर दिया है। जिन खेतों में सोने जैसी फसल लहराती थी, अब वहां गंदा पानी भरा है। किसान आसमान की ओर हाथ जोड़कर मदद की गुहार लगा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार को सहायता करनी चाहिए, वरना कर्ज और भूख से जीना मुश्किल हो जाएगा।
प्रशासन की राहत कार्य
प्रशासन ने राहत कैंप स्थापित किए हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। नावों और ट्रैक्टरों के माध्यम से लोगों को निकाला जा रहा है। हालांकि, गांववाले राहत की कमी से नाराज हैं और सवाल कर रहे हैं कि पहले चेतावनी क्यों नहीं दी गई। कई लोग अपने घरों की छतों पर फंसे हुए हैं।
आम जनता का दर्द
गांवों में महिलाएं और बच्चे रोते हुए कह रहे हैं, "सब कुछ डूब गया, हम कहां जाएं।" लोगों के घर, दुकानें और सामान पानी में बह गए हैं। बाढ़ से उत्पन्न दृश्य और वीडियो देखकर दिल दहल जाता है। लोग कह रहे हैं कि यह उनके जीवन की सबसे बड़ी आपदा है। कई स्थानों पर लोग भूखे-प्यासे फंसे हुए हैं।
मदद की गुहार
गांव से लेकर शहर तक हर जगह मदद की गुहार सुनाई दे रही है। सामाजिक संगठनों और गुरुद्वारों ने लंगर शुरू कर दिए हैं। लोग प्रार्थना कर रहे हैं कि बारिश थम जाए और पानी कम हो जाए। किसान सरकार से मुआवजे और राहत की मांग कर रहे हैं। यह बाढ़ केवल खेतों को ही नहीं, बल्कि उनकी उम्मीदों को भी बहा ले गई है।