पंजाब में बाढ़ का संकट: सेना ने स्थिति को संभाला
पंजाब में बाढ़ की गंभीर स्थिति
गुरुवार को लुधियाना में सतलुज का बांध टूटा, फिरोजपुर बॉर्डर पार पानी के बहाव में आई पाकिस्तानी पुलिस की चौकी
चंडीगढ़: पंजाब में बाढ़ का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। कई दिन से बाढ़ का पानी कहर बरपा रहा है और राहत की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। राज्य का एक बड़ा हिस्सा अभी भी जलमग्न है, जबकि कुछ क्षेत्रों में बर्बादी के स्पष्ट निशान देखे जा रहे हैं। गुरुवार को भी बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी रही।
रावी और सतलुज नदियाँ उफान पर हैं। लुधियाना में सतलुज ने ससराली बांध और नदी के बीच की मिट्टी को खिसका दिया, जिसके बाद सेना ने मोर्चा संभाल लिया। सतलुज ने फिरोजपुर के पल्ला मेघा गांव के पास पाकिस्तान के गांव और पुलिस चौकी को भी डुबो दिया है। यहां तटबंध टूटने का खतरा बना हुआ है। पठानकोट एनएच-44 से जुड़ी सड़क भी तेज बहाव में बह गई है। हाईवे पर दरारें भी आई हैं। रोपड़ में पहाड़ी कटाव के कारण एक गुरुद्वारे को भी नुकसान पहुंचा है.
गांवों में गजटिड अधिकारियों की नियुक्ति
बाढ़ की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हर गांव में गजटिड अधिकारियों की नियुक्ति की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। ये अधिकारी बाढ़ प्रभावित लोगों से सीधे संपर्क करेंगे, जिससे समस्याओं का समाधान किया जा सके। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी पंजाब पहुंचे और बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने किसानों से बातचीत की और अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की।
बाढ़ से प्रभावित गांवों की संख्या
राज्य के 1655 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। इनमें अमृतसर के 390, गुरदासपुर के 324, बरनाला के 37, बठिंडा के 13, फिरोजपुर के 111, होशियारपुर के 121, कपूरथला के 178, लुधियाना के 216 और मानसा के 114 गांव सबसे अधिक प्रभावित हैं। इसके अलावा पटियाला में 29, रूपनगर में 3 और तरनतारन में 70 गांव भी जलमग्न हैं। इस बाढ़ से अब तक 3,55,709 से अधिक लोग प्रभावित हो चुके हैं। सबसे अधिक असर अमृतसर (1,75,734), गुरदासपुर (1,45,006) और फाजिल्का (21,526) में देखा गया है। इसके अलावा फिरोजपुर, कपूरथला, मोगा, संगरूर और मोहाली में भी हजारों लोग संकट में हैं.